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स्कूल टैक्सी गिरी, दो बच्चों की मौत

जागरण संवाददाता, शिमला : बालूगंज थाना के तहत जतोग क्षेत्र के हथीनीधार में एक स्कूल वैन (एचपी 01 ए

By JagranEdited By: Published: Tue, 30 May 2017 01:01 AM (IST)Updated: Tue, 30 May 2017 01:01 AM (IST)
स्कूल टैक्सी गिरी, दो बच्चों की मौत
स्कूल टैक्सी गिरी, दो बच्चों की मौत

जागरण संवाददाता, शिमला : बालूगंज थाना के तहत जतोग क्षेत्र के हथीनीधार में एक स्कूल वैन (एचपी 01 ए 6043) अनियंत्रित होकर खाई में गिरने से दो बच्चों की मौत हो गई जबकि दो अन्य घायल हो गए। बताया जाता है कि दुर्घटना स्थल पर मार्ग काफी संकरा है, सड़क के किनारे पैरापिट भी नहीं है जिससे चालक गाड़ी को नियंत्रित नहीं कर पाया और वैन 200 फुट गहरी खाई में जा गिरी। मृतकों की पहचान कर्ण ठाकुर (6) पुत्र प्रमोद, हर्ष वर्मा (7) पुत्र विनोद वर्मा निवासी बाईचिड़ी के रूप में की गई है।

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घायलों में निहारिका शर्मा (6) पुत्री किशोर शर्मा, पारथ शर्मा(6) पुत्र ललित शर्मा, चालक नरेश शामिल है। जबकि दो लोगों की पहचान नहीं हुई है, दोनों गंभीर अवस्था में हैं।

दुर्घटना के समय वैन में चार स्कूली बच्चों समेत सात लोग सवार थे। वैन डीएवी स्कूल के बच्चों को स्कूल से पनेश की ओर ले जा रही थी हथिनीधार में यह हादसा पेश आया। स्थानीय लोगों की मदद से बच्चों को बाहर निकाल लिया गया। घायल बच्चों को आइजीएमसी अस्पताल में भर्ती करवाया गया है।

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पुलिस की नाक तले बच्चों की जान से हो रहा खिलवाड़

बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलवाने की होड़ में उनकी सुरक्षा की तरफ अभिभावकों और निजी स्कूलों की ओर से ध्यान नहीं दिया जा रहा है। बच्चों को स्कूल भेजने के लिए वाहन की सुविधा देने के चक्कर में उनके जीवन को खतरे में डाल देते हैं। शिमला में भी कुछ ऐसा ही मंजर रोज देखने को मिलता है, जहा पर मारुति वैन, अन्य गाड़ियों में स्कूली बच्चों को ठूंस-ठूंस कर भरा जा रहा है। इनमें अधिकतर निजी वाहन हैं। ओवरलोडिंग यातायात पुलिस की नाक के नीचे हो रही है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती। बच्चों को स्कूल लाने और घर छोड़ने के लिए लगाई अधिकतर वैन निजी नंबर की हैं व उनका कोई टैक्सी परमिट भी नहीं है। ऐसे में सरकार को हर माह हजारों का चूना भी लग रहा है। शिमला में दर्जनों निजी नंबर के वाहन बच्चों को स्कूल लाने और ले जाने के काम में लगाए गए हैं।

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आठ सीटर गाड़ी में 15 बच्चे कोई रोकने वाला नहीं

स्कूलों में लगीं वैन में बच्चों की दशा देखकर किसी का भी मन पसीज जाएगा। जिस वैन में आठ लोगों के बैठने की जगह है, उनमें पंद्रह से अधिक बच्चों को ठूंसा जाता है। साथ में उनके स्कूल बैग भी होते हैं, जिन्हें या तो गाड़ी के ऊपर रख देते हैं या बच्चों को हाथ में पकड़ कर बैठना पड़ता है। यह सब कुछ स्कूल प्रबंधन के सामने होता है, लेकिन शायद ही कभी किसी ने उन्हें रोकने का प्रयास किया हो। कई बार बच्चे वाहनों के साथ लटककर जाते हैं। शिमला के स्कूलों में लगे 20 से ज्यादा स्कूल वाहनों पर क्षमता से अधिक बच्चों को बैठाया जाता है। इन वाहनों की कभी भी न तो पुलिस चेकिंग करती है और न ही परिवहन विभाग ध्यान दे रहा है।


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