ठेकों का राजस्व बचाते रोड टैक्स में हो गई कटौती
राज्य ब्यूरो, शिमला : सरकार ने 16 स्टेट हाइवे का दर्जा घटाकर भले ही शराब के ठेकों से मिलने राजस्व को
राज्य ब्यूरो, शिमला : सरकार ने 16 स्टेट हाइवे का दर्जा घटाकर भले ही शराब के ठेकों से मिलने राजस्व को बचा लिया हो, लेकिन सरकार के इस निर्णय के बाद परिवहन विभाग के विशेष टैक्स में कट लग गया है। यानी प्रदेश सरकार ने अपनी एक जेब बचाने के चक्कर में दूसरी जेब कटवा दी है। स्टेट हाइवे में परिवहन विभाग स्पेशल रोड टैक्स के तौर पर बसों से 5.05 पैसा प्रति सीट प्रति किलोमीटर वसूल करता है। अब इन सड़कों को डी-नोटिफाई कर मेजर डिस्ट्रिक्ट रोड (एमडीआर) में तबदील करने के बाद परिवहन विभाग को मिलने वाले स्पेशल रेवन्यू टैक्स में नुकसान उठाना पड़ेगा। मेजर डिस्ट्रिक्ट रोड में बसों से स्पेशल रेवेन्यू टैक्स 4.01 पैसा के करीब प्रति सीट प्रति किलोमीटर निर्धारित है। डी-नोटिफाई की गई सड़कों की कुल लंबाई 1000 किलोमीटर से अधिक है। इसमें रोजाना सैकड़ों की संख्या में एचआरटीसी और प्राइवेट बसें चलती हैं।
स्टेट हाईवे का दर्जा घटाने का असर लोक निर्माण विभाग के स्टेट हाइवे के किनारे हुए निर्माण को लेकर कोर्ट में चल रहे मामलों पर भी पड़ेगा। अंडर रोड साइड कंट्रोल एक्ट 1968 के तहत स्टेट हाईवे में सड़क के किनारे से चार मीटर छोड़कर निर्माण से संबंधित गतिविधिया की जा सकती हैं। अब मेजर डिस्ट्रिक्ट रोड बनने के बाद इस पर यह नियम लागू नहीं होगा। एमडीआर में सड़क के किनारे से निर्माण संबंधित गतिविधिया तीन मीटर की दूरी पर की सकती हैं। ऐसे में जिन नियमों की अवहेलना को लेकर भवन मालिकों के केस कोर्ट में चल रहे हैं अब ये मामले सरकार के नए फैसले के फेर में उलझ सकते है। इसी तरह से अब नए भवन मालिकों को तीन मीटर के बाहर भवन निर्माण के लिए भी आसानी से एनओसी मिल जाएगी, लेकिन भविष्य में अगर दोबारा से इन सड़कों को अपग्रेड कर स्टेट हाइवे करना पड़ा तो यही फैसला सरकार पर उल्टा पड़ सकता है। वह ऐसे कि इडियन रोड काग्रेस स्टैडर्ड (आइआरसी) के तहत स्टेट हाइवे की न्यूनतम कैरेज वे 13 फुट होनी चाहिए, जबकि मेजर डिस्ट्रिक्ट रोड (एमडीआर) अदर डिस्ट्रिक्ट रोड (ओडीआर) व रूरल रोड (आरआर) यही न्यूनतम कैरेज वे 10 फुट तय की गई है।
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स्टेट हाईवे और मेजर डिस्ट्रिक्ट रोड के स्पेशल रोड टैक्स में फर्क है। इसको केल्कूलेट किया जाएगा।
विनय सिंह, संयुक्त आयुक्त परिवहन विभाग।