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17 वार्ड महिलाओं के लिए होंगे आरक्षित

जागरण संवाददाता, शिमला : नगर निगम शिमला चुनाव में महिलाओं के 50 फीसद आरक्षण से इस बार चुनावी जंग रोच

By JagranEdited By: Published: Mon, 24 Apr 2017 01:02 AM (IST)Updated: Mon, 24 Apr 2017 01:02 AM (IST)
17 वार्ड महिलाओं के लिए होंगे आरक्षित
17 वार्ड महिलाओं के लिए होंगे आरक्षित

जागरण संवाददाता, शिमला : नगर निगम शिमला चुनाव में महिलाओं के 50 फीसद आरक्षण से इस बार चुनावी जंग रोचक होगी। आरक्षण के कारण शहर के 34 में से 17 वार्डो पर महिला प्रत्याशियों का हक होगा। इससे चुनाव में पुरुष दिग्गज उम्मीदवारों की चुनावी मैदान से विदाई भी तय मानी जा रही है।

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महिलाओं को पंचायतों की तर्ज पर दिए जाने वाले 50 फीसद आरक्षण ने पहले ही पुरुष उम्मीदवारों की धड़कन तेज कर दी है। जिन वार्डो में महिलाओं की संख्या अधिक होगी वह वार्ड महिलाओं के लिए आरक्षित होंगे। वर्तमान पार्षद इसी चिंता में डूबे हुए हैं कि कहीं उनका वार्ड महिलाओं के लिए आरक्षित न हो जाए। कई पार्षद तो इसको लेकर पिछले आंकड़ों के आधार पर गणना का काम भी शुरू कर चुके हैं। वर्तमान में नगर निगम सदन के भीतर महिलाओं को 48 फीसद आरक्षण प्राप्त है। कला शर्मा, सरोज ठाकुर, कांता सुयाल, लक्ष्मी कश्यप, दीक्षा ठाकुर, निर्मला चौहान, ऊषा लखनपाल, उमा कौशल, रजनी सिंह, सुषमा कुठियाला, भारती सूद सदन में महिलाओं का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। लेकिन इस बार 17 वार्डो में महिलाएं चुनावी मैदान में अपना दमखम दिखाएंगी।

बज गया चुनावी बिगुल, पार्षद नहीं दिखा रहे दिलचस्पी

नगर निगम शिमला का चुनावी बिगुल बज चुका है। मई माह के अंत तक संभव है कि चुनाव हो भी जाएं। मगर पार्षदों में अभी भी चुनाव प्रचार को लेकर कोई खास दिलचस्पी देखने को नहीं मिल रही है। चाहे वह कांगेस हो भाजपा या फिर माकपा, सभी पार्टियों के पार्षद एक असमंजस की स्थिति से गुजर रहे हैं। उसकी वजह यह है कि इस बार महिलाओं को मिलने वाला 50 फीसद आरक्षण। महिलाओं की भागीदारी बड़े दिग्गजों की टिकट काट सकती है और सभी पुरुष पार्षदों को डर है कि कहीं मेरा ही वार्ड महिलाओं को आरक्षित न हो जाए। अगर ऐसा होता है कि उक्त पार्षद का पत्ता साफ होना तय है। यही वजह है कि अभी भी वार्ड कमेटियां वार्डो में सक्रिय होती दिख नहीं रही हैं। पार्षदों का कहना है कि जब तक वार्डो में महिला आरक्षण को लेकर स्थिति साफ नहीं होती, उस समय तक वे किस तरह से चुनाव रणनीति तय कर सकते हैं। यही वजह है कि अभी तक कई अनुभवी पार्षद बंद कमरों में तो आगामी चुनाव में अपनी पार्टी से चुनाव लड़ने के लिए हामी भर रहे हैं, लेकिन खुले तौर पर इस सीट के लिए कोई भी दावेदारी उस समय ही प्रस्तुत नहीं की जा सकती है, जब इसका रोस्टर सार्वजनिक न हो।

शहरी विकास मंत्री से मिल रहे वार्ड पार्षद

पार्षद शहरी विकास मंत्री सुधीर शर्मा से मिलकर वर्ष 2012 की तरह ड्रॉ के माध्यम से आरक्षण तय करने की गुहार लगा रहे हैं। सुधीर शर्मा ने मंत्रिमंडल की बैठक में मामला ले जाने का आश्वासन दिया है।


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