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सात जिलों में गिरा भूजल का स्तर

राज्य ब्यूरो, शिमला : प्रदेश के सात जिलों में भूजल का स्तर इतना नीचे चला गया है कि अब इन क्षेत्रों म

By JagranEdited By: Published: Thu, 23 Mar 2017 01:00 AM (IST)Updated: Thu, 23 Mar 2017 01:00 AM (IST)
सात जिलों में गिरा भूजल का स्तर
सात जिलों में गिरा भूजल का स्तर

राज्य ब्यूरो, शिमला : प्रदेश के सात जिलों में भूजल का स्तर इतना नीचे चला गया है कि अब इन क्षेत्रों में अस्सी फीसद कृषि योग्य क्षेत्र वर्षा पर निर्भर हो गया है। इसका खुलासा नाबार्ड, कृषि विभाग और राजस्व विभाग की ओर से किए गए सर्वे रिपोर्ट में हुआ है। यह सर्वे बीते वर्ष दिसंबर में किया गया है।

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सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, मंडी, किन्नौर, सिरमौर, सोलन, ऊना, हमीरपुर और बिलासपुर में भूजल का स्तर इतना नीचे चला गया है कि अब खड्डों सहित अन्य प्राकृतिक जलस्रोत सूख चुके हैं या सूखने की कगार पर हैं। इन जिलों के अधिकतर क्षेत्रों के किसान वर्षा पर निर्भर हो गए हैं। रिपोर्ट में सिरमौर के कालाअंब क्षेत्र को डार्क ब्लैक घोषित कर दिया गया है। इस क्षेत्र में तो भूजल स्तर नहीं बढ़ाया जा सकता। यह स्थिति भूजल के अधिक दोहन से पैदा हुई है। इसके अलावा ऊना जिले में भूजल के अधिक दोहन की बात सामने आई है। प्रदेश का अधिकतर क्षेत्र पहाड़ी है और इन इलाकों में किसान भूजल का दोहन न कर प्राकृतिक स्रोतों यानी बावड़ियों, नदियों, खड्डों और नालों से खेती सहित अन्य कार्यो के लिए पानी लेते हैं, लेकिन इन स्रोतों का सही ढंग से रखाव और वर्षा जल संरक्षण न करने से आज स्थिति यह पैदा हो गई है कि सब कुछ सूख रहा है। सोलन में सबसे अधिक उद्योग लगे हैं और हरेक ने बोरवेल करवाया है। ऐसे में करोड़ों लीटर भूजल का दोहन रोज हो रहा है। इस कारण नालागढ़ क्षेत्र की स्थिति भी गंभीर बनी हुई है। यदि समय रहते वर्षा जल संरक्षण को लेकर ठोस कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले दिनों में प्रदेश में खेती के लिए तो दूर की पीने के लिए भी पानी मुहैया नहीं होगा।

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नाबार्ड के जल दूत करेंगे मदद

इन जिलों में पानी की समस्या का समाधान निकालने के लिए नाबार्ड के जल दूत सहयोग करेंगे। नाबार्ड हर जिले में 40 के करीब जल दूत तैनात करेगा। ये जल दूत सरकार व बैंकों की ओर से कार्यान्वित की जा रही योजनाओं के साथ समन्वय करते हुए जल संरक्षण संरचनाओं के निर्माण और जल के दक्षतापूर्ण उपयोग की प्रथा तकनीकों को अपनाने में सहयोग देने के साथ-साथ वर्षा जल के संचय, जल के दक्षतापूर्ण उपयोग, भूमिगत जल के पुनर्भरण और समन्वित कृषि प्रणालियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने का काम करेंगे। इसे लेकर प्रदेश सरकार ने बुधवार को जल संरक्षण अभियान की शुरुआत भी कर दी है।


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