28 मार्च से शुरू होंगे नवरात्र, जानिए कब करें किस देवी की पूजा...
इस बार नवरात्र आठ दिन के होंगे। नवरात्र पर्व 28 मार्च को शुरू होकर पांच अप्रैल तक चलेगा। लेकिन महत्व आठ दिन का ही होगा। नवमी व दशमी एक साथ होगी।
जेएनएन, शिमला: चैत्र नवरात्र को लेकर राजधानी सहित प्रदेशभर के मंदिरो में तैयारियां जोरो पर हैं। नवरात्र इस बार आठ दिन के होंगे। प्रतिपदा तिथि के क्षय होने के कारण नवरात्र का एक दिन कम हो जाएगा। प्रतिपदा तिथि क्षय होने के बाद भी 28 मार्च को ही नवरात्र उत्सव शुरू हो जाएगा, क्योंकि देवी भागवत का मत है कि सूर्य उदय काल में यदि तिथि क्षय भी हो तो उसी दिन नवरात्र को शुरू मान लेना चाहिए। नवरात्र पर्व 28 मार्च से शुरू होकर पांच अप्रैल तक रहेगा, लेकिन नवमी और दशमी पर्व एक ही दिन मनाया जाएगा।
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 28 मार्च को सुबह 6.31 से 7.34 बजे तक द्विस्वभाव मीन लग्न में करना सर्वश्रेष्ठ रहेगा। चैत्र नवरात्र से ही विक्रम सवंत के आरंभ में चैत्र माह में मनाया जाता है। हिंदुओं का नववर्ष भी इसी दिन से शुरू होता है। नववर्ष के शुरुआत में मनवांछित फल पाने के लिए नवरात्र के इन नौ दिन देवी के विभिन्न स्वरूपों की उपासना के लिए निर्धारित है। ये देवियां भक्तों की पूजा से प्रसन्न होकर भक्तों की कामनाएं पूर्ण करती हैं।
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किस दिन करें किस देवी का पूजन
पहले दिन शैलपुत्री के स्वरूप का पूजन किया जाता है। इन्हें समस्त वन्य जीव-जंतुओ की रक्षक माना जाता है। दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी स्वरूप का पूजन किया जाता है। मां ब्रह्मचारिणी को समस्त विद्याओं की ज्ञाता माना गया है। समस्त विद्याओं की प्राप्ति के लिए इस स्वरूप का पूजन किया जाता है। तीसरे दिन मां चद्रघंटा स्वरूप का पूजन किया जाता है। देवी का यह तीसरा स्वरूप भक्तों का कल्याण करता है। ज्ञान की देवी भी माना गया है। ज्ञान प्राप्ति के लिए देवी के इस स्वरूप का पूजन किया जाता है। चौथे दिन मां कुष्माडा स्वरूप का पूजन किया जाता है। देवी कुष्माडा भक्तों को रोग, शोक और विनाश से मुक्त करके आयु, यश, बल और बुद्धि प्रदान करती है। पांचवे दिन मां के स्कन्दमाता स्वरूप का पूजन किया जता है। देवी का यह स्वरूप कल्याणकारी शक्ति की अधिष्ठात्री कहा जाता है। छठे दिन मां कात्यायनी स्वरूप का पूजन किया जाता है। पाप के नाश के लिए इनका पूजन किया जाता है। सातवें दिन मां कालरात्रि स्वरूप का पूजन किया जाता है। देवी का यह स्वरूप शत्रुओं तथा दुष्टों के नाश करने वाला माना जाता है। आठवें दिन मां के महागौरी स्वरूप का पूजन किया जाता है। देवी का यह स्वरूप पापो का नाश करने वाला है व यह धन, वैभव और सुख-शांति की अधिष्ठात्री देवी है। नवमें दिन मां सिद्धिदात्री स्वरूप का पूजन किया जाता है। देवी का यह स्वरूप सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाली है। इनकी उपासना से भक्तो की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।
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भागवताचार्य राम स्वरूप शर्मा के अनुसार दुर्गा माता की कृपा प्राप्त करने के नवरात्र के पावन अवसर पर देवी के नौ स्वरूपों का पूजन करना चाहिए। चैत्र नवरात्र 28 मार्च से शुरू होकर पांच अप्रैल तक रहेंगे। उन्होंने कहा कि दुर्गा मां की विशेष कृपा पाने के लिए मिट्टी या रेत पर जौ बीज कर उस पर कलश स्थापित करने के बाद उसमें देवीय शक्ति का आह्वान करना चाहिए व नौ दिनों तक व्रत रखकर माता के विभिन्न स्वरूपों के पूजन करना चाहिए। अष्ठमी और नवमी के दिन कन्याओं का पूजन करे। कन्या को आसन पर बैठाकर गध एव अक्षत आदि उपचारो से इष्टदेव की भांति भक्तिभाव से करें, ऐसा करने से भक्तो की मनोकामनाएं पूर्ण होगी।