वन भूमि पर कब्जों के मामलों में 2526 एफआइआर
जागरण संवाददाता, शिमला : वन भूमि पर कब्जा कर बगीचे विकसित करने के मामले में वन विभाग ने स्टेटस रिपोर
जागरण संवाददाता, शिमला : वन भूमि पर कब्जा कर बगीचे विकसित करने के मामले में वन विभाग ने स्टेटस रिपोर्ट के माध्यम से हाईकोर्ट को बताया कि 15 फरवरी तक 10 बीघा से ज्यादा भूमि पर कब्जा करने के 2538 मामलों में 2526 प्राथमिकिया पुलिस स्टेशनों में दर्ज की गई हैं। इनमें से 2522 मामले न्यायिक दंडाधिकारियों के समक्ष पेश कर दिए गए हैं। 1811 मामले वन मंडलाधिकारियों के समक्ष दायर किए गए और इनमें 1416 में बेदखली आदेश पारित किए गए हैं। 933 मामलों में 867 हेक्टेयर से अधिक भूमि कब्जामुक्त करवा ली गई है। 10 बीघा से कम कब्जे के मामलों की संख्या 15 फरवरी तक 10545 पाई गई जिनमें 6593 मामलों में 1340 हेक्टेयर से अधिक भूमि को कब्जामुक्त करवा लिया गया है। सबसे ज्यादा मामले शिमला जिले में पाए गए हैं जबकि दूसरे स्थान पर कुल्लू में वन भूमि पर अतिक्रमण किया गया है। शिमला में 3280, कुल्लू में 2392, कांगड़ा में 1757, मंडी 1218, चंबा में 644, सिरमौर में 540 व सोलन में 120 मामले ऐसे पकड़े गए हैं जिनमें लोगों ने 10 बीघा से कम भूमि पर अतिक्रमण किया है। राजस्व विभाग के अधिकारियों के समक्ष 4303 मामले दायर किए गए और इनमें से 1446 में अंतिम आदेश पारित किए जा चुके हैं। रोहड़ू में ही 10 बीघा से कम वन भूमि पर कब्जे के मामलों की संख्या 1692 है और इनमें से 894 को बेदखल कर दिया गया है जबकि 10 बीघा से अधिक के कब्जों की संख्या 418 है। इनमें 262 मामलों में 293 हेक्टेयर से अधिक भूमि को कब्जा मुक्त कर दिया गया है।
हाईकोर्ट ने वन भूमि से पेड़ काटकर अवैध ढंग से सेब के बगीचे विकसित करने के मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए राज्य सरकार को आदेश दिए थे कि वह 28 फरवरी 2017 तक वन भूमि से सभी अवैध कब्जों को हटाएं। मुख्य न्यायाधीश मंसूर अहमद मीर व न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान ने राजस्व विभाग के अतिरिक्त व प्रधान मुख्य अरण्यपाल को कोर्ट के उपरोक्त आदेशों की अनुपालना बताने के लिए 28 फरवरी को कोर्ट में हाजिर रहने के आदेश दिए थे। सुनवाई के दौरान उक्त अधिकारी कोर्ट में उपस्थित रहे। इन अधिकारियों द्वारा दायर की गई उपरोक्त स्टेटस रिपोर्ट रिकॉर्ड पर न होने से मामले की सुनवाई सात मार्च के लिए टल गई है। उल्लेखनीय है कि कृष्ण चन्द सारटा ने वर्ष 2014 में मुख्य न्यायाधीश के नाम पत्र लिखकर बताया था कि लोगों ने जंगलों को काटकर घर, खेत व बगीचे बना लिए हैं और वन विभाग की मिलीभगत से इन्हें बिजली-पानी के कनेक्शन भी मुहैया करवा दिए गए हैं। कोर्ट ने पत्र पर संज्ञान लिया और वन विभाग को समय-समय पर जारी आदेशानुसार बगीचों को काट कर वन भूमि को कब्जों से मुक्त करवाने के आदेश दिए।