आइजीएमसी में एजेंट बेच रहे ऑपरेशन के उपकरण
जागरण संवाददाता, शिमला : आइजीएमसी में ऑपरेशन थियेटर में उपकरणों की बोली लगाने वाले बिचौलियों ने पूरी
जागरण संवाददाता, शिमला : आइजीएमसी में ऑपरेशन थियेटर में उपकरणों की बोली लगाने वाले बिचौलियों ने पूरी तरह पैर जमा लिए हैं। आलम यह है कि आइजीएमसी के सर्जिकल वार्ड में ऑपरेशन से एक दिन पूर्व ही निजी कंपनियों के एजेंट कुछ उपकरण, जिन मरीजों के ऑपरेशन होने होते हैं, के पास थमा दिया जाता है और कहा जाता है कि पैसे कल लेंगे। उसके बाद शाम का एक डॉक्टर आता है और उन उपकरणों पर मार्किंग कर उपकरणों को इकट्ठा कर एक बक्से में भरकर ऑपरेशन थियेटर ले जाया जाता है।
ऑपरेशन के बाद मरीजों से पैसे लेने कंपनी का एजेंट पहुंच जाता है। मरीजों को न तो इस बात का पता होता है कि उपकरण कितने का है और न ही इस बात का पता होता है कि किस कंपनी का है। एजेंट द्वारा मांगी गई राशि ही मरीजों और तीमारदारों को अदा करनी पड़ती है। उपकरण कहां से लाया गया और कितनी कीमत का है इसके बारे में मरीजों को कोई पुख्ता जानकारी नहीं रहती। कई मामलों में तो वास्तव कीमत से अधिक दाम मरीजों को चुकाने पड़ते हैं। साथ ही उपकरण अन्य राज्यों से लाए जाने की वजह से इसकी कीमत वैसे ही बढ़ जाती है। इसकी खरीद-फरोख्त की प्रक्रिया में जुड़े लोगों की कमीशन भी उपकरण की कीमत में जुड़ते-जुड़ते हजारों रुपये में पहुंच जाती है, जिसका सारा आर्थिक बोझ मरीज व तीमारदारों पर ही पड़ रहा है। मरीज को यह भी मालूम नहीं होता कि जो उपकरण लगाया जा रहा है, वह असल में किसी सही कंपनी का है भी या नही। यहां तक की कई बार तो मरीजों को इस बात का पता भी नहीं होता कि वास्तव में यह उपकरण उसके ऑपरेशन में इस्तेमाल होना भी है या नहीं। केवल चिकित्सक के कहने के मुताबिक उपकरण की कीमत अदायगी मरीजों और तीमारदारों को करनी पड़ती है। हालांकि दबी जुबान में बिचौलियों की इस संलिप्तता की सभी मरीज और तीमारदार कड़ा विरोध कर रहे हैं, लेकिन कुछ खुलकर कहने से हिचकिचाते हैं। न तो प्रशासन द्वारा इन बिचौलियों को रोकने का कोई प्रयास किया जा रहा है और न ही मरीजों को ऐसे एजेंटों से सामान न लेने के लिए कोई जागरूकता फैलाई जा रही है। उल्टा इन एजेंट से सामान लेने के लिए मरीजों और तीमारदारों को कहा जाता है।
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ऐसा कोई मामला ध्यान में नहीं है, इसकी जांच की जाएगी। जो सामान दुकान में नहीं मिलता वह सामान बाहर से मंगवाया जाता है।
-डॉ. रमेश चंद, वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक, आइजीएमसी।