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सोनिया की 'खनक' के बाद 'झनक' बाजार में

जागरण संवाददाता, शिमला : राजधानी शिमला के पंथाघाटी निवासी सोनिया सहगल आज प्रदेशभर में नाम कमा चुकी ह

By Edited By: Published: Tue, 24 Jan 2017 05:28 PM (IST)Updated: Tue, 24 Jan 2017 05:28 PM (IST)
सोनिया की 'खनक' के बाद 'झनक' बाजार में
सोनिया की 'खनक' के बाद 'झनक' बाजार में

जागरण संवाददाता, शिमला : राजधानी शिमला के पंथाघाटी निवासी सोनिया सहगल आज प्रदेशभर में नाम कमा चुकी है। सोनिया की दूसरी एलबम 'झनक' नॉन स्टॉप बाजार में आई हैं। इसे अभी तक दस हजार से अधिक लोग डाउनलोड कर चुके हैं। एक हिंदी गाना 'बरस रे बादल' भी गाया है। सोनिया सहगल की स्कूल की पढ़ाई डीएवी स्कूल लक्कड़ बाजार से हुई है। बचपन से संगीत की तरफ रुझान था। स्कूली दिनों में संगीत प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेना शुरू कर दिया था। सोनिया ने कहा कि इसके बाद उन्हें लगा इस क्षेत्र में भविष्य बनाना चाहिए, क्योंकि जिस काम में रुचि हो, उसी में काम करना चाहिए। पहली एलबम 'खनक' थी। एलबम के गाने में सुरेंद्र डांगी ने लिखे और संगीत सुरेंद्र नेगी ने दिया है। इसके प्रेमुया, फौजिया जैसे गाने काफी हिट हुए थे। इसके साथ फौजिया ऊपरी शिमला का पहला गाना था जोकि फौजी पर आधारित था। इसके बाद उत्तराखंड के गाने का मौका मिला। उन्होंने कहा कि मेरे दादा स्व. गीता राम पहले गुरु थे, जिन्होंने मुझे संगीत की पहली तालीम दी थी। फिर में संगीत की बारीकियां संगीतकार सुरेंद्र नेगी के पास सीखती रही। क्योंकि इसी बीच मेरी पढ़ाई एपीजी विवि में चल रही थी। पिछले सात महीने से दिल्ली में संगीत की शिक्षा हासिल कर रही हूं। हिंदी और पंजाबी गानों में काम करने के लिए प्रयास कर रही हूं। दिल्ली में एक म्यूजिक कंपनी ने कांटेक्ट साइन किया है। मैं अपना 100 प्रतिशत बेहतर देना चाहती हूं, ताकि परिवार व प्रदेश का नाम रोशन कर सकूं। अगर मैं संगीत में प्रदेश और अपने परिवार का नाम रोशन कर पाई तो मेरे पिता स्व. चरण दास को सच्ची श्रद्धाजंलि होगी। मेरी माता कला देवी मुझे हमेशा गाइड करती हैं।

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मंच पर प्रतिभा को दी जाए प्राथमिकता

सोनिया सहगल ने कहा कि हिमाचल की म्यूजिक इंडस्ट्री अभी विकसित नहीं हुई। यहां मंच ही नहीं है। कलाकारों को अपनी रोजी रोटी के लिए कोई ओर रोजगार ढूंढना पड़ता है। कलाकारों को अगर कोई कार्यक्रम मिल जाए तो उन्हें मानदेय काफी कम दिया जाता है। कई मंचों पर पहुंचने के लिए हुए सिफारिश की सहायता कलाकार लेते हैं। ऐसे में मंच पर पहुंच नहीं पाते हैं। मंच में प्रतिभा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।


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