कागजों में नियम धरातल पर ठेंगा
राज्य ब्यूरो, शिमला : सड़कों पर गाड़ियां नहीं मौत दौड़ रही है.. कारण यह है कि कागजों में तो नियम हैं ले
राज्य ब्यूरो, शिमला : सड़कों पर गाड़ियां नहीं मौत दौड़ रही है.. कारण यह है कि कागजों में तो नियम हैं लेकिन धरातल पर इन्हें ठेंगा दिखाया जा रहा है। प्रदेश के साठ फीसद से अधिक वाहन निर्धारित मानकों को पूरा ही नहीं करते हैं। राज्य में करीब 12 लाख गाड़ियां पंजीकृत हैं और इनमें साठ फीसद से अधिक व्यावसायिक वाहन हैं। सड़क हादसों को रोकने के लिए नियम निर्धारित हैं और इसके तहत वाहनों की फिटनेस होना जरूरी है। फिटनेस जांचने का जिम्मा परिवहन विभाग सहित पुलिस के सुपुर्द है लेकिन खानापूर्ति के लिए ही जांच होती है। सड़कों में दौड़ने वाले वाहनों में ऐसे गाड़ियों की भी कमी नहीं है जो बिना पंजीकरण लोगों की जिंदगी को ही दाव पर लगाकर दौड़ाए जा रहे हैं। फर्जीबाड़े के कई खुलासे हो चुके हैं और इसमें फर्जी पंजीकरण के तहत गाड़ियों को चलाया जा रहा है। यही नहीं गाडि़यों में ऐसी लाइटों को लगाया गया है कि रात को चलाते समय गाड़ी में रोशनी से आगे कुछ भी नहीं दिखता और सड़क हादसों का कारण बन रहा है।
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अलग-अलग लगाई जा रही लाइटें
प्रदेश के युवाओं में नया शौक है गाड़ियों में रंगीन और तेज लाइटों को लगाने का जबकि फॉग व हेड लाइट के अलावा अन्य अतिरिक्त लाइटों को लगाने पर रोक है। इसके खिलाफ चालान का प्रावधान है लेकिन सड़कों पर ऐसी गाड़ियां धड़ल्ले से दौड़ रही हैं और नियमों को जांचने वाले इन्हें देखते ही नहीं हैं।
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हाईबीम पर गाड़ी चलाने पर रोक
सिटी में गाड़ी को हाईबीम पर चलाने पर रोक है। इसके बावजूद हाईबीम पर गाड़ियों को चलाया जा रहा है जबकि ऐसी स्थिति में 100 से 500 रुपये तक के चालान का प्रावधान है। पुलिस सिर्फ अन्य कागजात को जांचती है लेकिन इसे नहीं। इसके साथ हेड लाइट के कुछ हिस्से पर स्टीकर या पट्टी लगाना अनविार्य है न लगाने पर चालान का प्रावधान है। पुलिस ने प्रेशर हॉर्न को लेकर भी तब कार्रवाई की है जबकि उच्च न्यायालय ने इस संबंध में आदेश जारी किया था। इस बाबत बीते दिनों प्रदेशभर में अभियान चलाया गया।
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40 फीसद के पास निर्धारित लाइसेंस नहीं
करीब 40 फीसद लोग निर्धारित लाइसेंस के बिना ही वाहनों को दौड़ा रहे हैं। यही नहीं एलएमवी व मोटरसाइकिल लाइसेंसधारक एलटीवी के तहत ट्रक और बसों को दौड़ा रहे हैं। हादसों के कारणों में यह सबसे बड़ा है।
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सड़क हादसों के पांच मुख्य कारण
पुलिस की ओर से किए गए सर्वेक्षण और आकलन में हादसों के पांच मुख्य कारण सामने आए हैं। इसमें मुख्य रूप से अप्रशिक्षित चालकों द्वारा गाड़ी चलाना, ओवरस्पीड, नशे की हालत में गाड़ी चलाना, गाड़ी चलाते समय मोबाइल फोन को सुनना, बार-बार सीडी प्लेयर से गानों को बदलना है।
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वाहनों का ब्योरा
एचआरटीसी की बसें - 2800
निजी बसें - 3750
टैक्सी - करीब 70 हजार
ट्रक 80 हजार
पिकअप 70 हजार
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बसों की निर्धारित उम्र
सीटर लाख किलोमीटर में
30 450 लाख
37 6,80000
52 8,00000
वोल्वो 950 लाख
डीलक्स 950 लाख
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'प्रदेश में वाहनों का लगातार निरीक्षण किया जाता है। बहुत से वाहन बिना पंजीकरण के पकड़े भी गए हैं। कमर्शियल वाहनों की जांच पासिंग के दौरान हो जाती है लेकिन निजी वाहनों के लिए भी पुलिस जांच करती है।'
-सुनील चौधरी, निदेशक परिवहन विभाग