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टीसीपी के विरोध में पहुंचे राजभवन

राज्य ब्यूरो, शिमला : टीसीपी संशोधन विधेयक को राजभवन की मंजूरी मिलने से पहले ही लेखक व पर्यावरणविद ल

By Edited By: Published: Sat, 03 Dec 2016 01:00 AM (IST)Updated: Sat, 03 Dec 2016 01:00 AM (IST)
टीसीपी के विरोध में पहुंचे राजभवन

राज्य ब्यूरो, शिमला : टीसीपी संशोधन विधेयक को राजभवन की मंजूरी मिलने से पहले ही लेखक व पर्यावरणविद लामबंद हो गए है। लेखकों के साथ शिमला के पर्यावरण को लेकर चिंतन करने वाले समूह के लोगों ने जन अभियान संस्था के बैनर तले राजभवन पहुंच कर राज्यपाल आचार्य देवव्रत को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में राज्यपाल से टीसीपी संशोधन विधेयक को मंजूरी न देने की गुहार लेखकों व पर्यावरणविदों ने लगाई है।

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जन अभियान संस्था के बैनर तले लेखकों व पर्यावरणविदों ने राज्यपाल से मुलाकात की। संस्था के सदस्यों ने ज्ञापन में कहा कि शिमला व प्रदेश के पर्यावरण के दृष्टिगत इस विधेयक को मंजूरी न दें। यह विधेयक संविधान में दिए गए अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) के विरुद्ध है। शिमला भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र है। विधेयक लोगों को और अधिक निर्माण के प्रति प्रोत्साहित करेगा जो इस संवेदनशील क्षेत्र के लिए सही नहीं है। उन्होंने राज्यपाल को टीसीपी की वर्ष 2013 के सर्वेक्षण की रिपोर्ट भी दिखाई। रिपोर्ट में शिमला में भूकंप की तीव्रता के हिसाब से कितने भवन बनने चाहिए तथा कितने बन गए हैं, इसका उल्लेख किया गया है। लेखकों का मानना है कि इस संशोधन विधेयक को मंजूरी देना घातक होगा। भूकंप आने की स्थिति में शिमला भुरभुरा कर रह जाएगा। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया 2006 में एक सर्वे में घोषणा कर चुका है कि पुराने शिमला का 25 प्रतिशत क्षेत्र बहुत असुरक्षित है जो सिंकिंग जोन में है। शिमला के इस भाग में शहर की 175000 आबादी बसती है। सर्वे के मुताबिक ही 25 प्रतिशत क्षेत्र मकान निर्माण के लिए सही नहीं है। यदि सही ड्रेनेज सिस्टम व अन्य कदम नहीं उठाए गए तो तीस साल में अनसेफ जोन बढ़कर 35 प्रतिशत हो जाएगा। यहां अवैध निर्माण दस हजार से भी कहीं अधिक है।

अवैध निर्माण नियमित करना है विधेयक पारित करने का मकसद

राज्य विधानसभा ने टीसीपी संशोधन विधेयक को मानसून सत्र में पारित किया। विधेयक को पारित करने का मकसद प्रदेश में अवैध निर्माण को नियमित करना है। सरकार के संशोधन विधेयक पर राज्य उच्च न्यायालय पहले ही अपनी राय दे चुका है। उच्च न्यायालय ने भी इस संशोधन को परोक्ष तौर पर उचित नहीं माना है। एनजीटी शिमला में हुए बेतहाशा निर्माण को लेकर पहले ही नाखुश है। इस सबके बीच कांग्रेस व भाजपा दोनों ही राज्यपाल से संशोधन विधेयक को मंजूरी के पक्ष में है। दोनों दलों के नेता इस मुद्दे को लेकर राज्यपाल से मुलाकात कर चुके है। अभी राज्यपाल ने विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं किए है।

मुख्यमंत्री कर चुके हैं विधेयक पर हस्ताक्षर करने का आग्रह

मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह भी पिछले सप्ताह राजभवन पहुंचे थे। उन्होंने राज्यपाल आचार्य देवव्रत से टीसीपी संशोधन विधेयक पर हस्ताक्षर करने का आग्रह किया था।


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