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मरीज के साथ न आना, ठहरने का नहीं ठिकाना

संवाद सहयोगी, शिमला : प्रदेश के सबसे बडे़ इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (आइजीएमसी) में मर

By Edited By: Published: Thu, 29 Sep 2016 01:00 AM (IST)Updated: Thu, 29 Sep 2016 01:00 AM (IST)
मरीज के साथ न आना, ठहरने का नहीं ठिकाना

संवाद सहयोगी, शिमला : प्रदेश के सबसे बडे़ इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (आइजीएमसी) में मरीज को भर्ती करवाना चुनौती है, परंतु तीमारदारों के लिए तो यहां कोई व्यवस्था है ही नहीं। तीमारदार इस उम्मीद के साथ कहीं भी फर्श पर लेट कर रात गुजार लेते हैं कि उनका मरीज ठीक हो जाए। आइजीएमसी में शाम ढलते ही पांव रखने के लिए जगह नहीं रहती है। ऐसी कोई मंजिल नहीं होती जहां तीमारदार फर्श पर न सोए हों।

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सोमवार रात 11 बजे दैनिक जागरण की टीम आइजीएमसी पहुंची। वेटिंग रूम, (जो कागजों में फूलों के लिए बनाया गया है) के एक कोने में स्ट्रेचर, व्हील चेयर का ढेर लगा हुआ था। शेष जगह में तीमारदार कोई चादर बिछाकर नंगे फर्श पर सोया हुआ था तो कोई प्लास्टिक के मैट पर। ऐसा नजारा वेटिंग रूम में ही नहीं बल्कि आइजीएमसी की सभी मंजिलों में यही हाल है। इमरजेंसी के बाहर भी लोग जमीन पर सोए हुए थे तो मरीज स्ट्रेचर पर गेलरी में।

कांगड़ा निवासी सुरेश ने बताया कि पांच दिन से वह मरीज के साथ आए हैं। पहले सराय में जाकर देखा तो वहां पर कोई जगह खाली नहीं थी। मरीज को तो वार्ड में मिल गया है। अब मजबूरी है तो फर्श पर ही सोना पड़ेगा।

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खुले में रखना पड़ता है सामान

लोगों को मजबूरी में खुले में ही सामान रखना पड़ता है। जहां रात को सोते ही है, वहीं तीमारदार बगल में अपना सामान रख देता है। हालांकि सामान चोरी होने का डर तो सताता है, लेकिन कोई और व्यवस्था भी नहीं है। लॉकर की व्यवस्था न होने के कारण लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

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नहीं कोई वेटिंग रूम

आज तक अस्पताल में कोई भी वेटिंग रूम नहीं है जहां पर मरीज रह सके। जिसे फिलहाल वेटिंग रूम के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है वह इनडोर गार्डन है। कागजों में इसे इनडोर गार्डन के तौर पर शामिल किया गया। पहले यहां पर कुछ फूल भी रखे हुए थे, लेकिन धीरे-धीरे तीमारदारों और आउटडोर मरीजों ने रात को ठहरने का ठिकना बनाना शुरू कर दिया। अस्पताल प्रबंधन को मजबूरन इनडोर गार्डन को बंद करना पड़ा।

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रोज आते हैं हजारों मरीज

आइजीएमसी में रोजाना प्रदेशभर के दूरदराज क्षेत्रों से हजारों मरीज इलाज के लिए आते हैं। अस्पताल में 800 के करीब बिस्तर की क्षमता है, जबकि मरीज इससे कहीं अधिक होते हैं। कई बार तो एक बिस्तर पर दो-दो मरीज भी होते हैं। मरीजों के साथ तीमारदारों के ठहरने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। वार्ड के भीतर तीमारदारों को ठहरने नहीं दिया जाता है। एक तीमारदार मरीज की देखरेख नहीं कर पाता है।

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सराय की हालत खस्ता

आइजीएमसी प्रबंधन की अपनी सराय है, लेकिन इसके पांच-छह कमरों में कर्मचारी रहते हैं। शेष कमरों में सीलन या फिर जर्जर हो चुके हैं। इस वजह से लोग यहां पर ठहरने से परहेज करते हैं। हालांकि अभी हाल ही में मुख्यमंत्री ने रोटरी क्लब की ओर से बनाए जा रही सराय का शिलान्यास रखा था, लेकिन यह सराय कब पूरी होगी इसके बारे में अभी कुछ पता नहीं है।

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तीमारदार को सोने के लिए एक सराय है। इसमें कुछ कर्मचारी भी रहते हैं, लेकिन अलग से तीमारदारों के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। रोटरी क्लब तीमारदारों के लिए भवन बनाने जा रहा है। परिसर में वेटिंग रूम का इस्तेमाल सोने के लिए तीमारदार कर रहे हैं।

-डॉ. रमेश चंद, वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक, आइजीएमसी।


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