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पहले लाभ लेने वालों के लिए नहीं टीसीपी का अध्यादेश

राज्य ब्यूरो, शिमला : प्रदेश में अवैध भवनों को नियमित करने के लिए सरकार द्वारा स्वीकृत किया गया टीसी

By Edited By: Published: Tue, 31 May 2016 01:04 AM (IST)Updated: Tue, 31 May 2016 01:04 AM (IST)
पहले लाभ लेने वालों के लिए नहीं टीसीपी का अध्यादेश

राज्य ब्यूरो, शिमला : प्रदेश में अवैध भवनों को नियमित करने के लिए सरकार द्वारा स्वीकृत किया गया टीसीपी का अध्यादेश उन हजारों लोगों को कोई फायदा नहीं देगा जो रिटेंशन पॉलिसी का लाभ पहले ले चुके हैं। भले ही ऐसे लोगों ने 18 साल पहले फायदा लिया हो। वहीं, जिन्होंने हैरिटेज घोषित क्षेत्रों में अवैध भवन निर्माण हैरिटेज अधिसूचना जारी होने के बाद किया है, उन पर सख्त कार्रवाई की तैयारी हो रही है। उन लोगों को सरकार नोटिस देने के लिए कमर कस रही है।

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नए अध्यादेश के नियमों में जो अब अवैध निर्माण को नियमित करने के लिए आवेदन नहीं करेंगे, उनके बिजली व पानी के कनेक्शन काटे जाएंगे। तय समय अवधि में बार-बार आग्रह के बाद भी कोई आवेदन के लिए सुस्ती बरतता है तो भवन को सील करने की शक्ति अध्यादेश में लाई गई है और उसके बाद भवन को गिराने या कोर्ट में भी खिंचाई विभाग कर सकता है। हालांकि ये नियम तभी लागू होंगे जब अध्यादेश को राज्यपाल से मंजूरी मिलेगी। मंत्रिमंडल की बैठक के बाद अभी प्रदेश सरकार ने राज्यपाल को यह स्वीकृत अध्यादेश मंजूरी के लिए नहीं भेजा है। हैरिटेज की अधिसूचना से पहले यदि अवैध निर्माण किया है तो पूरे तथ्यों के साथ उन्हें अपना केस विभाग को समझाना होगा। यदि हैरिटेज की अधिसूचना के बाद किसी ने अवैध भवन तैयार किए हैं तो यह तय है कि उनके भवनों को नियमित करने का लाभ नहीं दिया जाएगा। अध्यादेश में तय किया गया है कि जिस अवैध भवन को नियमित करना है, उसके लिए भी 30 प्रतिशत तक सैटबैक की शर्त लगा दी गई है व 70 फीसद डेविऐशन को नियमित किया जाएगा।

2108 लोगों के अवैध भवन हुए नियमित

नगर ग्राम नियोजन विभाग के पदाधिकारियों का कहना है कि सरकार ने 19 साल पहले रिटेंशन पॉलिसी लाई थी। उसके बाद हर सरकार इस मामले पर वोट बटोरने की राजनीति करती रही। चुनाव के करीब रिटेंशन पॉलिसी के के पत्ते खोले जाते रहे हैं। जितनी बार भी अवैध भवनों को नियमित करने के लिए नीतियां आई, उनमें 8198 लोगों ने आवेदन किया और 2108 लोगों के अवैध भवन नियमित हुए हैं।

कब-कब आई रिटेंशन पॉलिसी

तिथि विभाग

8 अप्रैल 1997 टीसीपी

21 फरवरी 1999 टीसीपी

12 सितंबर 2000 शहरी विकास

4 सितंबर 2002 शहरी विकास

13 फरवरी 2004 टीसीपी

- 2006 रिटेंशन पॉलिसी लाई गई मगर कोर्ट में मामला पहुंचा।

- 2009 टीसीपी

अध्यादेश प्रकाशन की अधिसूचना के बाद करें आवेदन

विभाग के पदाधिकारियों का कहना है कि जिस प्रकार भवनों के नक्शों की मंजूरी के लिए कोई आवेदन करता है, उसी प्रकार अवैध निर्माण के नियमितीकरण के लिए भी लोग अध्यादेश की मंजूरी के बाद आवेदन कर सकते हैं। जिस दिन अध्यादेश प्रकाशित होगा, उसकी घोषणा या अधिसूचना के 45 दिनों के भीतर लोगों को आवेदन करना होगा।

ऑनलाइन आवेदन के लिए नया सॉफ्टवेयर बनाएगी सरकार

अध्यादेश के बाद ऑनलाइन आवेदन करने के लिए सरकार नया सॉफ्टवेयर तैयार कर सकती है। अवैध भवनों के नियमितीकरण को लेकर अभी तक कभी भी इस सबंध में ऑनलाइन आवेदन सरकार ने नहीं मांगे हैं। यह पहली बार होगा जब अवैध भवनों के लिए नए सॉफ्टवेयर के तहत लोग आवेदन कर पाएंगे। अध्यादेश की मंजूरी के बाद ही इस पर विभाग कसरत करेगा। ऑनलाइन प्रणाली से प्रदेश के किसी भी कोने से सीधे नियमितीकरण के लिए कोई भी आवेदन कर सकता है। यदि ऑनलाइन आवेदन न करना चाहें तो टीसीपी, नगर निगम या साडा क्षेत्रों में संबंधित अधिकारियों को आवेदन दे सकते हैं। इसके लिए प्रकिया नहीं बदली जाएगी।

हिमाचल में पैंतीस हजार अवैध भवन

हिमाचल में अभी तक पैंतीस हजार के करीब अवैध भवन हैं। प्रदेश के शहरों में यह संख्या अधिक है। सोलन, शिमला, धर्मशाला, कुल्लू व मनाली में अधिक मामले हैं। टीसीपी के निदेशक संदीप कुमार का कहना है हालांकि सभी शहरी निकायों व साड़ा क्षेत्रों से ऐसा डाटा एकत्रित किया जाएगा।


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