हिमाचल को ए श्रेणी में शामिल करने की राज्यपाल ने की वकालत
राज्य ब्यूरो, शिमला : हिमाचल प्रदेश को जम्मू व कश्मीर, सिक्किम तथा अन्य उत्तर पूर्वी राज्यों की तर्ज
राज्य ब्यूरो, शिमला : हिमाचल प्रदेश को जम्मू व कश्मीर, सिक्किम तथा अन्य उत्तर पूर्वी राज्यों की तर्ज पर ए श्रेणी में शामिल करने के लिए गृह मंत्रालय से प्रदेश के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने वकालत की है। उन्होंने चंबा-जम्मू एवं कश्मीर की 216 किलोमीटर सीमा पर भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी) जिसे वर्ष 1998 में हटा दिया गया था को पुन: तैनात करने के लिए केंद्र सरकार से आग्रह किया।
उन्होंने कहा कि यह एक आतंकवाद प्रभावित क्षेत्र है और लोगों की सुरक्षा के लिए सीमाओं की रक्षा महत्वपूर्ण है। राज्यपाल आचार्य देवव्रत मंगलवार को राष्ट्रपति भवन नई दिल्ली में आयोजित राज्यपालों के दो दिवसीय सम्मेलन के अवसर पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि देश भर से नशाखोरी व अन्य सामाजिक बुराइयों को युवाओं की सक्रिय भागीदारी से दूर किया जा सकता है। सामाजिक बुराइयों के खिलाफ समाज में जागरूकता उत्पन्न करने में युवाओं की सक्त्रिय भागीदारी की आवश्यकता है। आचार्य देवव्रत ने हिमाचल प्रदेश की प्राथमिकताओं पर चर्चा करते हुए कहा कि राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों, सामाजिक क्षेत्र में कार्यरत स्वंयसेवी संगठनों तथा उद्यमियों के साथ बातचीत के दौरान उन्होंने नशा निवारण, जैविक कृषि, देसी नस्लों की गायों, पर्यटन, पर्यावरण, स्वच्छता और बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जैसे कार्यक्रमों पर विशेष बल दिया है। हिमाचल ने विषम भौगोलिक स्थितियों के बावजूद ऐतिहासिक प्रगति हासिल की है जिसका श्रेय प्रदेश के शातिप्रिय एवं मेहनतकश लोगों को जाता हैं। देश की आर्थिकी में पर्यटन उद्योग के महत्व पर प्रकाश डालते हुए राज्यपाल ने स्थानीय जरूरतों को ध्यान में रखते हुए पर्यटन क्षमता के समुचित दोहन के लिए उपयुक्त योजना की आवश्यकता पर बल दिया। प्रदेश के युवाओं को रोजगार के अवसर सृजित करने के उद्देश्य से पर्यावरण मित्र उद्योग स्थापित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
प्रदेश में लिंग अनुपात में आया सुधार
हिमाचल प्रदेश में लिंग निर्धारण जाच पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया गया है। इससे राज्य में लिंग अनुपात में सुधार आया है। प्रदेश की लड़किया हर क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं। राज्यपाल ने राच्य में कन्या भ्रूण हत्या जैसी बुराई को पूरी तरह समाप्त करने के लिए व्यापक जागरूकता उत्पन्न करने की आवश्यकता पर बल दिया।