पानी की चेकिंग का निगम को नहीं अधिकार
जागरण संवाददाता, शिमला : नगर निगम शिमला के दायरे में वितरित होने वाले पानी की चेकिंग करना निगम के अध
जागरण संवाददाता, शिमला : नगर निगम शिमला के दायरे में वितरित होने वाले पानी की चेकिंग करना निगम के अधिकार क्षेत्र में आता ही नहीं है। नगर निगम के अधिकारियों को पुलिस ने जब पूछताछ के लिए तलब किया, तो उन्होंने एमसी एक्ट का हवाला देकर अपना पल्ला झाड़ लिया। ऐसे में पुलिस भी अब निगम की और जांच आगे नहीं बढ़ा रही है। नगर निगम अधिनियम में पानी की चेकिंग अनिवार्य नहीं है। अब पीलिया मामले में निगम के अधिकारियों की गिरफ्तारी नहीं हो सकती है। ऐसे में अधिकारियों ने राहत की सांस ली है। शहर में जिस एजेंसी के माध्यम से पानी पहुंच रहा है, उसके सैंपल पास होना अनिवार्य है। शहर में पीलिया मामले पर नगर निगम की कार्यप्रणाली पर कई सवाल उठ रहे हैं कि जनता को दूषित पानी पिलाया गया। इसकी जांच नगर निगम ने क्यों नहीं की। अब पीलिया मामले में नगर निगम बचता नजर आ रहा है।
सरकारी एजेंसी पर शक कैसे
आखिर कई सालों से नगर निगम आइपीएच विभाग से पानी की आपूर्ति ले रहा है। ऐसे में सरकारी एजेंसी के पानी पर कभी शक नगर निगम ने नहीं किया। निगम अधिकारियों का तर्कहै कि सरकारी एजेंसी से पानी की आपूर्ति होती रही है। ऐसे में पानी की गुणवत्ता पर नगर निगम कैसे सवाल उठाए। वहीं दूसरा पक्ष ये भी है कि नगर निगम की लैब में पानी के सिर्फ दो टेस्ट होते हैं। दोनों टेस्ट में पानी के सैंपल पास होते हैं।
निगम का है ऐच्छिक अधिकार
एमसी एक्ट में पानी का टेस्ट करना अनिवार्य ही नहीं बताया गया है। निगम को यह अधिकार ऐच्छिक है। ऐसे में शहर में पानी की आपूर्ति के लिए टेस्ट करने के लिए हम बाध्य नहीं हैं। हमारी लैब में दो ही तरह के टेस्ट होते हैं।
टिकेंद्र पंवर, उप महापौर, नगर निगम, शिमला