शीत मरुस्थल में खुलेंगे बर्फानी तेंदुए के रहस्य
राज्य ब्यूरो, शिमला : शीत मरुस्थल लाहुल स्पीति में बर्फानी तेंदुए के व्यवहार और रेंज को जानने के लिए
राज्य ब्यूरो, शिमला : शीत मरुस्थल लाहुल स्पीति में बर्फानी तेंदुए के व्यवहार और रेंज को जानने के लिए नए वित्त वर्ष की शुरुआत में सर्वेक्षण शुरू होगा। तेंदुए की स्थिति का पता लगाने के लिए यूरोप से जीपीएस प्लस कॉलर और जर्मनी व स्वीडन से विशेष दवाइयां नेशनल कंजरवेशन फाउंडेशन (एनसीएफ) मैसूर के पास पहुंच गई हैं।
विशेष तरह के ऐसे उपकरणों का आना भारत सरकार के टेलिकम्युनिकेशन मंत्रालय के विंग वायरलेस प्लानिंग एवं कोऑर्डिनेशन से लाइसेंस की लंबी प्रकिया की मंजूरी मिलने के बाद संभव हुआ है। लंबे समय से इसके कारण रुकी प्रकिया को शुरू करने के लिए सर्वे करने वाली एनसीएफ ने इस संबंध में राज्य वन्य प्राणी विंग को पत्र लिख कर सूचित किया है कि रेडियो कालरिंग ऑपरेशन प्रदेश में शुरू किया जा सकता है। फाउंडेशन ने इससे संबंधित सारे प्रबंध पूरे कर लिए हैं। सवा पांच करोड़ रुपये के इस सर्वे के संबंध में वन्य प्राणी विंग ने मंगलवार को राज्य सरकार को सूचित कर दिया है। लंबे अरसे से महंगी दवाइयों और विशेष उपकरणों की विदेशों से खरीद न हो पाने के कारण यह सर्वे रुका हुआ था। अब फाउंडेशन के पास विदेशों से सामान पहुंचा है तो पहली बार हिमालयन रेंज में अनूठे प्रोजेक्ट से बर्फानी तेंदुए की हरकतों के संबंध में रोचक रहस्य उजागर होंगे। जम्मू-कश्मीर, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश व उत्तराखंड में से हिमाचल पहला राज्य होगा जहां सबसे पहले यह पहल होगी। इन राज्यों में ही बर्फानी तेंदुए की रेंज है। अभी तक बर्फानी तेंदुए के व्यवहार पर कम ही तथ्य सामने आए हैं। एनएफसी के कंट्री निदेशक कुलभूषण ने इसकी पुष्टि की है।
तीन से चार लाख में एक जीपीएस कॉलर
प्रथम चरण में तीन ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम (जीपीएस) कॉलर तेंदुए की गर्दन में लगाने के लिए खरीदे जा रहे हैं। एक कॉलर की कीमत तीन से चार लाख रुपये है। कॉलर तेंदुए में लगाने के लिए जो प्रकिया अपनाई जाएगी, उस दौरान उसे बेहोश करने के लिए मंहगी दवाइयों की जरूरत है जिन्हें विदेशों से मंगवाया गया है।
टेलीमेटरी प्रोजेक्ट से बर्फानी तेंदुए के रहस्य उजागर करने वाला हिमाचल प्रदेश पहला राज्य बनने जा रहा है। एनएफसी ने प्रकिया शुरू करने के लिए उपकरणों की खरीद को लेकर सूचित किया है और वन्य प्राणी विंग ने सरकार को बता दिया है।
एसएस नेगी, प्रमुख मुख्य अरण्यपाल, वन्य प्राणी विंग