बीमारी से लड़ लूंगी, अपनों के दिए जख्म कैसे भरेंगे
अजय बन्याल, शिमला दस साल की बच्ची रिपन अस्पताल शिमला में उस बीमारी से जूझ रही है जिससे जीतना बड़ा म
अजय बन्याल, शिमला
दस साल की बच्ची रिपन अस्पताल शिमला में उस बीमारी से जूझ रही है जिससे जीतना बड़ा मुश्किल है। आंखों से आंसू बह रहे हैं व चेहरे पर एक ही सवाल है कि उसे किस बात की सजा मिल रही है? मां व पिता का साया तो तब ही छूट गया था जब वह घुटनों के बल चलती थी। उसे माता-पिता की शक्ल भी याद नहीं है। वह सिर्फ मामा व कुछ और रिश्तेदारों को ही जानती है। कैंसर ने जूझ रही दस वर्षीय सुषमा को इससे बड़ा और आघात क्या लगेगा कि उसे मामा ने भी बेसहारा छोड़ दिया है। सुषमा का यही सवाल है कि वह बीमारी से तो किसी तरह लड़ लेगी मगर उसके मामा ने उसे जो जख्म दिया है, वह कैसे भरेगा? सुषमा के मामा को जब इस बात का पता चला कि उसकी भानजी किसी बड़ी बीमारी से पीड़ित है तो वह उसे नेपाल से शिमला ले आया। रिपन अस्पताल शिमला में सुषमा को छोड़ कर वह चला गया। अस्पताल में डॉक्टरों ने सुषमा को रोते हुए देखा। सुषमा ने बताया कि उसे उसके मामा वहा छोड़कर बिना बताए चले गए हैं। डॉक्टरों ने उसे अस्पताल में भर्ती कर उसके टेस्ट किए तो पता चला कि वह कैंसर से पीड़ित है। अब डॉक्टर उसकी देखभाल कर रहे हैं। सुषमा ने बताया कि वह नेपाल के गोरती बाजार की निवासी है। उसके माता-पिता की मौत हो चुकी है। उसकी देखरेख मामा कर रहे थे। वह गोरती बाजार के स्कूल में छठी कक्षा में पढ़ती है। नेपाल में स्कूल से घर आते समय वह गिर गई थी। इस पर मामा उसे वहा से इलाज करवाने के लिए शिमला ले आए। अब उसका पढ़ाई करना तो दूर की बात, बीमारी से निजात पाना भी मुश्किल हो रहा है। अस्पताल में डॉक्टरों द्वारा पिछले डेढ़ महीने से उसका मुफ्त में इलाज करवाया जा रहा है। रिपन अस्पताल के डॉक्टर मोक्टा ने कहा कि सुषमा में कैंसर काफी फैल चुका है। जब यह बच्ची अस्पताल में डेढ़ महीना पहले पहुंची थी तो उसके पास एक भी पैसा नहीं था। ठंड से ठिठुरती हुई वह एक कोने में बैठकर रो रही थी। तब डॉक्टरों ने पैसे एकत्रित कर उसे खाना खिलाया। सुबह से लेकर शाम तक डॉक्टर ही बच्ची का सारा खर्च उठा रहे हैं। बच्ची के पास और कपड़े भी नहीं थे। वह एक ही सूट में रह रही थी। कुछ दिन पहले ही बच्ची के गांव का रहने वाला एक युवक मुंबई से आया था। उसने जब सुषमा की बीमारी के संबंध में पूछा तो उसे कैंसर के संबंध में बताया गया। उसके पास सिर्फ दो हजार रुपये थे जो एक महीने में यहां खर्च हो चुके हैं। अब उसके पास भी नेपाल जाने के लिए रुयये नहीं बचे हैं। वह युवक सुषमा को उसके गांव ले जाना चाहता है। स्थानीय अस्पताल प्रशासन ने सोमवार को करीब 12 हजार रुपये एकत्रित किए हैं। इस पैसे से दोनों को नेपाल भेजा जाएगा।