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पीलिया के बाद अब चिकन पॉक्स

संवाद सहयोगी, शिमला : सर्दी शुरू होते ही अभिभावक अपने बच्चों का विशेष ध्यान रखें। शिमला में पीलिया क

By Edited By: Published: Tue, 06 Oct 2015 10:48 PM (IST)Updated: Tue, 06 Oct 2015 10:48 PM (IST)
पीलिया के बाद अब चिकन पॉक्स

संवाद सहयोगी, शिमला : सर्दी शुरू होते ही अभिभावक अपने बच्चों का विशेष ध्यान रखें। शिमला में पीलिया के बाद इन दिनों चिकन पॉक्स ने दस्तक दे दी है। कमला नेहरू अस्पताल (केएनएच) शिमला में चिकन पॉक्स से पीड़ित तीन से चार बच्चे रोजाना उपचार के लिए आ रहे हैं।

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मौसम में बदलाव व हल्की ठंड शुरू होने पर एक से 10 साल के बच्चे चिकन पॉक्स के शिकार हो जाते हैं। इन दिनों चिकन पॉक्स, खसरा, काला जार व डायरिया का संक्रमण फैलने लगता है। चिकन पॉक्स संक्रामक बीमारी है जो छोटी चेचक के नाम से भी जानी जाती है। ज्यादा दिनों तक बीमार रहने पर भी इसका संक्रमण हो जाता है। खानपान में अनियमितता इस बीमारी का प्रमुख कारण है। इस बीमारी से पीड़ित बच्चे शिमला से ही नहीं बल्कि बिलासपुर, मंडी, सोलन आदि से भी अस्पतालों में आ रहे हैं। यह बीमारी ज्यादा खतरनाक तो नहीं है लेकिन बच्चों के शरीर को काफी नुकसान पहुंचा सकती है। ठंडी हवा में इस बीमारी का वायरस बेरीसेला ज्यादा सक्रिय होता है। जिन बच्चों की त्वचा ज्यादा संवेदनशील होती है, उन्हें चिकन पॉक्स होने की ज्यादा संभावना होती है।

चिकन पॉक्स के कारण

-खानपान में असावधानी बरतना।

-दूषित भोजन या पानी का सेवन करना।

-खुले में बिकने वाले खाद्य पदार्थो का सेवन।

-अत्यधिक ठंड या गर्मी लगना।

-ज्यादा कडे़ साबुन का प्रयोग।

-ज्यादा देर तक नहाने से इंफेक्शन होना।

-छोटे बच्चे को मां के दूध को एकाएक छुड़वा कर अन्य खाद्य पदार्थ खिलाने से इंफेक्शन फैलना।

क्या हैं लक्षण

-पूरे शरीर में खुजली होना

-लाल दाने निकलना जो बाद में फफोलों में बदल जाते हैं।

-बुखार के दो दिन बाद दाने निकलना

-फिंसियों में जलन होना

-शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम होना

-फिंसियों में मवाद आना।

-फिंसियों का फूटकर चमड़ी का खुरदुरा हो जाता

- भूख ना लगना

-उल्टी होना

कैसे करें बचाव

-बीमारी के लक्षण दिखते ही डॉक्टर से संपर्क करें।

-बच्चों को ठंड से बचाएं।

-बीमारी होने पर दवाई व वैक्सीन तुरंत लें।

बच्चों का रखें विशेष ध्यान

अभिभावक को बच्चों का विशेष ध्यान रखना चाहिए क्योंकि चिकन पॉक्स संक्रामक बीमारी है जो सांस के जरिये एक-दूसरे में फैलती है। इस बीमारी से बचने के लिए बच्चों को पहले ही इंजेक्शन लगवाएं।

एलएस चौधरी, चिकित्सा अधीक्षक, कमला नेहरू अस्पताल शिमला


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