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लैपटॉप सरकारी, डोंगल का खर्च जेब से

राज्य ब्यूरो, शिमला : पंचायतों का कामकाज पंचायत सचिवों की जेब पर भारी पड़ रहा है। पंचायत का पूरा काम

By Edited By: Published: Tue, 04 Aug 2015 01:06 AM (IST)Updated: Tue, 04 Aug 2015 01:06 AM (IST)
लैपटॉप सरकारी, डोंगल का खर्च जेब से

राज्य ब्यूरो, शिमला : पंचायतों का कामकाज पंचायत सचिवों की जेब पर भारी पड़ रहा है। पंचायत का पूरा काम लैपटॉप पर होता है। उसके अतिरिक्त मनरेगा का काम भी लैपटॉप पर होता है। डाटा डाउनलोड करने पर अधिक खर्च आता है।

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सरकार ने लैपटॉप तो सचिवों को थमा दिए मगर नेटवर्क चलाने के लिए किसी भी मोबाइल कंपनी का ब्रॉडबैंड कनेक्शन 1500 रुपये में पड़ता है। उसके बाद मासिक किराया भी देना पड़ रहा है। डोंगल का खर्च पंचायत सचिव जेब से करने को मजबूर हैं। प्रदेश के विभिन्न भागों में पंचायत सचिवों से संपर्क करने पर योजना की असलियत का पता चला। शिमला व मंडी जिलों के पंचायत सचिवों ने कहा कि हर प्रकार का प्रशासनिक कार्य करना पड़ता है। ऐसे में अधिकारियों से इजाजत लेने में समय बर्बाद करने के बजाए व्यक्तिगत तौर पर ब्रॉडबैंड की व्यवस्था की है। पंचायती राज विभाग ने लैपटॉप के साथ ब्रॉडबैंड की सुविधा के लिए आदेश तो जारी किए हैं। इस तरह के सरकारी आदेश धरातल पर अमल में नहीं लाए जा रहे हैं।

400 पंचायतों में नहीं लैपटॉप की सुविधा

विभाग की ओर से 990 रुपये का अनलिमिटिड ब्रॉडबैंड प्लॉन दिया गया है। इसके अतिरिक्त ऐसी व्यवस्था भी की गई है कि पंचायत सचिव पंचायत निधि से इसके लिए पैसा ले सकता है। इसके अतिरिक्त मनरेगा में भी खर्च को डाला जा सकता है। अभी भी 400 पंचायतें ऐसी हैं जहां पर लैपटॉप की सुविधा नहीं है।

केस स्टडी

-सलापड़ पंचायत : पंचायत सचिव मनीष का कहना है कि मैंने ब्रॉडबैंड चलाने के लिए पहले तो 1500 रुपये खर्च किए। उसके बाद हर महीने जेब से 247 या 300 रुपये का प्लॉन इस्तेमाल करता हूं। जब पंचायत में हों तो वायर लाइन से काम हो जाता है।

- बोबर पंचायत : पंचायत सचिव सुरेश ठाकुर का कहना है कि मेरे पास बोबर व अरठी दो पंचायतों का दायित्व है। 349 रुपये का प्लॉन इस्तेमाल कर रहा हूं। वायर लाइन पर तो लैपटॉप से काम करना मुश्किल है।

- चायली पंचायत : जिला शिमला के तहत आने वाली चायली पंचायत की सचिव पूनम को भी कई बार 170 रुपये का रिचार्ज करवाना पड़ता है।

वापस ले सकते हैं पूरा पैसा

सभी पंचायत सचिवों को इजाजत दी गई है कि वे डोंगल खरीदकर पंचायत निधि से पैसा लें। यदि किसी पंचायत सचिव ने अपनी जेब से डोंगल खरीदा है तो वह पूरा पैसा वापस ले सकता है।

डॉ. अजय शर्मा, निदेशक, पंचायती राज विभाग।

अधिकारियों से होगा जवाब तलब

मैं हैरान हूं कि लोगों ने अपना पैसा खर्च कर डोंगल क्यों खरीदे हैं। इस बारे में अधिकारियों से पूछा जाएगा कि ऐसा क्यों हुआ। जहां पर अभी तक लैपटॉप नहीं हैं, उन्हें वित्त वर्ष के अंत तक लैपटॉप उपलब्ध करवा दिए जाएंगे।

अनिल शर्मा, पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास विभाग मंत्री।


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