मुख्यमंत्री ने पूछा, कहां तक पहुंचा वृद्ध आश्रम का काम
राज्य ब्यूरो, शिमला : शिमला में वृद्ध आश्रम बनाने की योजना छह साल बाद भी सिरे नहीं चढ़ी है। मामले पर
राज्य ब्यूरो, शिमला : शिमला में वृद्ध आश्रम बनाने की योजना छह साल बाद भी सिरे नहीं चढ़ी है। मामले पर अब भी अधिकारी औपचारिकताओं में ही फंसे हैं। इस संबंध में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने संबंधित अधिकारियों से पूछा कि काम कहां तक पहुंचा तो जवाब आया कि अभी नक्शा बनकर आया है सर।
2008 में आइजीएमसी के समीप व अक्टूबर 2014 से मशोबरा में आश्रम बनाने की प्रक्रिया चल रही है, मगर नींव अभी तक नहीं रखी जा सकी है। केंद्रीय लोक निर्माण विभाग ने दो दिन पहले नक्शा बनाकर अनुसूचित जाति, जनजाति एवं अल्संख्यक मामले निदेशालय को भेजा है, जबकि आश्रम संबंधी अन्य कार्य अभी ठंडे बस्ते में ही हैं। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने शिमला में शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष द्वारा हिमाचल में बुजुर्गो की स्थिति के संबंध में रिपोर्ट जारी करने के बाद वृद्ध आश्रम का निर्माण कार्य शुरू करने के आदेश अधिकारियों को दिए।
छह साल पहले आइजीएमसी के समीप प्रस्तावित वृद्ध आश्रम का निर्माण अब मुख्यमंत्री के आदेश के बाद मशोबरा बालिका आश्रम के समीप होना है। इसके लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र के लिए सचिवालय की सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की शाखा ने 19 दिसंबर को आश्रम मशोबरा स्थानातंरित करने के बारे में अनापत्ति प्रमाणपत्र के लिए लिखा था। प्रदेश में यह सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग का दूसरा आश्रम होगा। इससे पहले बसंतपुर में एक ओल्डएज होम चल रहा है, जिसमें 16 वृद्धों के रहने का स्थान है। हालांकि मंडी के बंरोदरा व धर्मशाला के दाड़ी में एनजीओ द्वारा चलाए जा रहे वृद्ध आश्रम के लिए सरकार अनुदान दे रही है। इसके अतिरिक्त निजी तौर पर कई संस्थाएं वृद्धों के लिए आश्रय दे रही हैं।
तीन मंजिला भवन में मिलेगा 25-30 बुजुर्गो को आश्रय
मशोबरा में चयनित भूमि पर करोड़ों की राशि से तीन मंजिला इमारत बनेगी। इसमें 25 से 30 वृद्धों को आश्रय मिलेगा। इसमें उम्र के अंतिम पड़ाव से गुजर रहे बुजुर्गो को घर जैसी सुविधा मुहैया होगी। इसमें रहने के कमरों के अतिरिक्त डायनिंग हॉल, कॉमन व प्रार्थना कक्ष भी होगा। इसके निर्माण के लिए 2013 में ही केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के खाते में दो करोड़ 50 लाख रुपये की राशि सरकार ने जारी की थी। पूरे निर्माण कार्य के लिए 355.85 लाख रुपये स्वीकृत किए गए हैं।
2008 की है योजना
2008 में पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा ने आइजीएमसी के समीप ओल्डएज होम बनाने की घोषणा की थी। आइजीएमसी गेट के ठीक विपरीत इसके लिए भूमि का चयन हुआ था। 2014 तक निर्माण कार्य का खर्च तो दोगुना हो गया, लेकिन इतने वर्षो में आश्रम की सिर्फ नींव ही डाली जा सकी। मुख्यमंत्री ने इस क्षेत्र को कोल्ड जोन कहकर वृद्धों के लिए उपयुक्त नहीं बताया। इसके बाद मुख्यमंत्री ने अक्टूबर 2014 में आइजीएमसी सभागार में एक कार्यक्रम के दौरान इस आश्रम को मशोबरा स्थानांतरित करने के आदेश दिए थे। इन आदेशों पर भी अधिकारी चुस्ती नहीं बरत रहे और मशोबरा बालिका आश्रम के साथ लगती सरकारी भूमि पर वृद्ध आश्रम बनाने का कार्य शुरू ही नहीं हो पाया है।