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तापमान की मनमानी से चिंतित किसान

जागरण संवाददाता, शिमला : बारिश से तापमान में आई गिरावट ने किसानों व बागवानों के माथे पर शिकन ला

By Edited By: Published: Sun, 01 Mar 2015 09:19 PM (IST)Updated: Sun, 01 Mar 2015 09:19 PM (IST)
तापमान की मनमानी से चिंतित किसान

जागरण संवाददाता, शिमला : बारिश से तापमान में आई गिरावट ने किसानों व बागवानों के माथे पर शिकन ला दी है। फरवरी में मौसम में हुए लगातार बदलाव से प्रदेश में गेहूं की फसल में पीला रतुआ की आशंका बढ़ गई है। यही नहीं तापमान में दर्ज की जा रही भारी गिरावट से मटर की फसल का विकास भी रुक गया है। मौसम में आए परिवर्तन से स्टोन फ्रूट की पैदावार पर भी असर पड़ सकता है।

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प्रदेश के कम व मध्यम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में इन दिनों स्टोन फ्रूट में फ्लावरिंग चल रही है, ऐसे में तापमान में लगातार चले रहे बदलाव से इसे नुकसान पहुंच रहा है। सेब के लिए बारिश व बर्फबारी काफी फायदेमंद बताई जा रही है। जमीन में पर्याप्त नमी से इस बार सेब उत्पादन अच्छा रहने की संभावना बढ़ गई है।

गेहूं में पीला रतुआ की आशंका

प्रदेश में हो रही बारिश से तापमान में भारी गिरावट आ गई है। इससे गेहूं की फसल में पीला रतुआ की आशंका बढ़ गई है। जिला में निचले कई क्षेत्रों में कई जगह पीला रतुआ के प्रकोप से किसान काफी परेशान हैं। इन दिनों तापमान में चल रही भारी गिरावट व बारिश से वातावरण की नमी से पीला रतुआ फैलने का अंदेशा पहले से अधिक बढ़ गया है। इस रोग से गेहूं की पत्तियों की ऊपरी सतह पर पीले रंग की धारियां पड़ जाती हैं। समय पर ध्यान न दिए जाने से धीरे-धीरे इस रोग से बाली पूरी तरह से खराब हो जाती है। गेहूं की फसल के लिए इन दिनों दिन का तापमान 18 से 20 डिग्री सेल्सियस के बीच रहना चाहिए, जबकि बारिश के कारण दिन का तापमान सामान्य तौर पर 12 से 15 डिग्री सेल्सियस के बीच में चल रहा है। इसी तरह रात के वक्त सामान्य तौर पर 8 से 9 डिग्री सेल्सियस तापमान चाहिए, जबकि इन दिनों रात का तापमान 3 से 5 डिग्री सेल्सियस चल रहा है। इससे पीला रतुआ बीमारी फैलने की अधिक आशंका बन हुई है। आने वाले दिनों में अगर मौसम में सुधार नहीं आता है तो किसानों को और भी अधिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।

मटर की खेती को भी नुकसान

लगातार बारिश से मटर की फसल को भी नुकसान हो रहा है। तापमान में जारी गिरावट से मटर की फसल का विकास पूरी तरह से रुक गया है। कम व मध्यम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में इन दिनों मटर की फसल फूलने की स्टेज पर आ जाती थी, लेकिन इस बार ठंड की वजह मटर जमीन से ऊपर ही नहीं आ पा रहा है। ऐसे में किसानों की चिंता बढ़ गई है। आने वाले दिनों में अगर यही हाल रहा तो किसानों को और अधिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।

स्टोन फ्रूट पर मार

मौसम की मार केवल किसानों पर ही नहीं पड़ी है। तामपान में गिरावट से प्रदेश के बागवान भी चिंचित हैं। कम व मध्यम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में इन दिनों पलम, आड़ू, बादाम, खुरमानी व नाशपाती आदि में फ्लावरिंग चल रही है। तापमान में चल रहे उतार चढ़ाव से फ्लावरिंग प्रभावित हो सकती है। ऐसे में इसका असर पैदावार पर पड़ सकता है। इससे बागवानों की परेशानी बढ़ गई है। केवल सेब के लिए बारिश व बर्फबारी अभी फायदेमंद बताई जा रही है। जमीन में पर्याप्त नमी की वजह से सेब का उत्पादन अच्छा रहने की संभावना बढ़ गई है।

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तामपान में गिरावट व वातावरण में नमी से गेहूं की फसल में बीमारियों की अधिक आशंका रहती है। इसलिए किसानों को चाहिए कि वे पीला रतुआ की रोकथाम के लिए किसान प्रोपिकोनो जोल का छिड़काव कर सकते हैं। प्रदेश में इस दवा की कोई कमी नहीं है। जहां तक मटर का सवाल है तो तापमान की कमी से फसल का विकास रुक गया है, लेकिन जैसे ही धूप खिलेगी मटर का विकास भी उसी तेजी के साथ होगा।

जेसी राणा, निदेशक कृषि विभाग।

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तापमान में लगातार उतार चढ़ाव की वजह से स्टोन फ्रूट की फ्लावरिंग को कुछ नुकसान हो सकता है, लेकिन सेब के लिए बारिश व बर्फबारी काफी फायदेमंद है।

अशोक मिश्रा, उप निदेशक बागवानी विभाग शिमला।


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