वे बना रहे शब्दों को मशाल
राज्य ब्यूरो, शिमला : 'मैं अकेला ही चला था जानिबे मंजिल मगर, लोग साथ आते रहे और कारवां गया।' अपने हा
राज्य ब्यूरो, शिमला : 'मैं अकेला ही चला था जानिबे मंजिल मगर, लोग साथ आते रहे और कारवां गया।' अपने हाथ खाली सही लेकिन औरों की किस्मत बदलने का जज्बा रखते है वे। स्कूल में मात्र नौवीं, दसवीं की पढ़ाई कर रहे बच्चे जो समाज को बदलने व सुशिक्षित करने को हर साल अपनी पॉकेट मनी इकट्ठा करते हैं। समाज के लिए कुछ कर गुजरने की यह राह दिखाई डॉ. आकर्षण चौहान ने, जो आठ साल पहले से वित्तीय व समाज की विभिन्न परिस्थितियों के कारण शिक्षा से वंचित रहने वाले बच्चों की शिक्षा का जिम्मा संभाल रहे हैं। उस समय वह भले ही अकेले थे लेकिन अब स्कूल व महाविद्यालय के छात्र ही उनसे प्रेरित होकर हर साल किसी न किसी का शिक्षा प्राप्त करने का सपना साकार करवा रहे है। संस्था है 'यस' (यूथ एनलाइटनिंग द सोसायटी) जिसमें अब स्कूल-कॉलेज के 28 छात्र जुड़ चुके हैं। वे न केवल जरूरतमंद छात्र को धन मुहैया करवाते हैं बल्कि निजी व सरकारी स्कूलों में जाकर हर वर्ष नशा निवारण के प्रति जागरूक भी करते हैं। समाज में फैली कुरीतियों के प्रति जागरूक करवा रही है युवा पीढ़ी। यहां तक इस युवा शक्ति ने महिला संबधित शिकायतें सुनने के लिए हेल्पलाइन- 94183-36668 तक जारी की है। जिस पर दहेज, छेड़खानी व अन्य संबधी शिकायतें आने पर पुलिस की सहायता से आरोपी को सबक सिखाया है। सोसायटी खेल प्रतिस्पर्धा के अतिरिक्त स्कूलों में सांस्कृतिक गतिविधियां भी आयोजित करवा रही है। यस के अध्यक्ष रमन ने बताया कि सोसायटी जनवरी माह में हर स्कूल में जाकर ऐसे छात्रों की तालाश करती है जब दाखिले का दौर शुरू होता है। प्रधानाचार्य व अन्य स्कूल प्रबंधन से उन्हें कोई न कोई छात्र ऐसा मिलता है जो घर की वित्तीय स्थिति बिगड़ने के कारण खुद को शिक्षा से दूर हो रहा हो। निजी व सरकारी स्कूलों के ऐसे छात्रों का पिछला पूरा रिकॉर्ड देखा जाता है कि पढ़ाई में कैसा है। जिसके बाद संस्था अपने दीक्षांत प्रोजेक्ट के तहत छात्र की पढ़ाई का पूरा खर्च उठाती है। हाल में शोघी स्कूल की जमा एक की तीन छात्राएं, सेंट थॉमस स्कूल के चौथी कक्षा व एसडी स्कूल के जमा दो के दो छात्रों की पढ़ाई का खर्च संस्था ने उठाया है। हालांकि सोसायटी से जुड़े अधिकांश युवा स्कूल व महाविद्यालय में खुद अध्ययनरत हैं। ऐसे में किसी और का दायित्व लेना भी चुनौती ही है। सोसायटी के लोग अपनी पॉकेट मनी को इकट्ठा करने के अतिरिक्त कॉन्वेट स्कूलों में खेल व सांस्कृतिक प्रतिस्पर्धा आयोजित करवाने के साथ स्पांसरशीप ढूंढ़ती है। इससे आने वाला पैसा दूसरों की पढ़ाई व नशा निवारण तथा अन्य सामाजिक गतिविधियों पर खर्च किया जा रहा है। शिमला के 12 स्कूल ऐसे हैं, जहां हर साल जाकर ये संस्था कार्यक्रम आयोजित करवाती है। कई छात्रों का नशा तक युवा सोसायटी ने छुड़ाया है अब जिनकी सहभागिता भी इन्हें मिल रही है।
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ये हैं यस के चेहरे
यस संस्था के संस्थापक डॉ. आकर्षण चौहान के नेतृत्व में अध्यक्ष रमन व सदस्य लक्ष्य विराट, धृटि ब्रागटा, आदित्य सूद, ध्रुपद कटोच, श्रुति ठाकुर, विक्रांत दत्ता, अकुल गुप्ता, विभूति शारदा, उपासना ठाकुर, कनिका डोगरा, शेफाली बेरी, अंकुश भाटिया, ऋषभ सूद, शुभंागी ठाकुर, कार्तिक ठाकुर, रौनक सिंह, नितिन कुकरेजा, तान्या कुठियाला, सुषमिता नेगी, शुभेंदु भारद्वाज, अंकुश चौहान, श्रेया गोयल, नेहा भंडारी, वर्निका वात्सयायन, शिवम टंडन, अभिनव मल्होत्रा, कौस्तुभ शामशेरी, जेसमिन चंदला, प्रिया शर्मा, गुरमान बीर सिंह, योगेश बन्याल, अक्षिता शर्मा, शशांक सूद, राहुल मैहता, प्रतिभा राणा, करण बैंस, श्रेया सूद, नितिन कुकरेजा, अंजलि शर्मा, वैशाली सिंहा, आस्था गुप्ता, क्षितिज, आभा रांटा, देवेन शर्मा, प्रियंका, सुधीर कुमार, वृंदा गुप्ता, आदित्य पुन, राची गोयल, शिवानी गंगोत्री, अर्जुन गुप्ता, कैलाश मोदगिल, ईशानी बिष्ट, अमित शर्मा, आस्था बडालिया, सिद्धार्थ, पारुल शर्मा, पारूल पराशर, विपिन कुल्लवी, रुचिका शर्मा, अमन कमार, भारती, शैफाली चौहान, अनिता ठाकुर, शुभांगी, अंकित राठौर, अंकित कालरा, अर्जित दत्ता, पार्श्व चौहान, रजत चौहान, एंजल ब्रागटा सोसायटी के लिए क्रियाशील हैं।