80 हजार शिक्षक अब तक जेसीसी बाहर
संवाद सहयोगी, शिमला : अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ की संवैधानिकता पर राजकीय अध्यापक संघ ने सवालिया निश
संवाद सहयोगी, शिमला : अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ की संवैधानिकता पर राजकीय अध्यापक संघ ने सवालिया निशान लगाए हैं। करीब पांच लाख नियमित व अनुबंध कर्मचारियों का नेतृत्व करने वाले महासंघ में शिक्षकों के लिए कोई स्थान ही नहीं। ऐसा वर्ग जिसकी संख्या प्रदेश में 80 हजार से अधिक है इस संख्या को बगैर अपने साथ जोड़े जेसीसी बैठक का कोई औचित्य भी नहीं रहता। महासंघ शिक्षकों के साथ अनदेखी का रवैया अपना रहा है। शिक्षा समाज का वर्तमान व भविष्य तय करता है, मगर शिक्षा से जुड़े कोई मुद्दे जेसीसी की होने वाली बैठक के एजेंडे में शामिल नहीं है। इस कारण अध्यापकों में रोष है और 10 दिन के भीतर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से भी जेसीसी में बैठने का अधिकार मांगेंगे।
हिमाचल प्रदेश राजकीय अध्यापक संघ के अध्यक्ष विरेंद्र चौहान ने कहा कि राज्य में विभिन्न वर्ग के 80 हजार से अधिक शिक्षक हैं जो जेसीसी का भाग ही नहीं। 40 विभागों, बोर्डो, निगमों के नियमित सवा दो लाख कर्मचारियों के मुद्दे जेसीसी बैठक में उठते रहे हैं। शिक्षा विभाग के गैरशिक्षक कर्मचारी भी जिसमें शामिल हैं, लेकिन शिक्षकों को बिना शामिल किए महासंघ का भी कोई औचित्य नहीं रहता। मामले पर मुख्यमंत्री से मांग उठाएंगे कि जेसीसी में शिक्षक भी शामिल होने चाहिए। शिक्षकों को इसकी सदस्यता दी जाए और मुख्य कार्यकारिणी में भी शामिल किया जाए। राजकीय अध्यापक संघ पैराटीचर, पीटीए, पीएटी आदि के भी ज्वलंत मुद्दे उठाता रहा है। शिक्षक यदि जेसीसी बैठक में शामिल होंगे तो बच्चों के लिए बेहतर व्यवस्था, खामियां व सुधार के लिए सुझाव दिए जा सकते हैं।
संविधान में नहीं प्रावधान : जोगटा
शिक्षकों को महासंघ में शामिल करने के लिए संविधान में कोई प्रावधान नहीं है। शिक्षकों को यदि अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ में शामिल करना होगा तो उसके लिए संविधान में परिवर्तन करना पड़ेगा। 1986 से पहले शिक्षक एनजीओ में शामिल होते थे जिन्होंने खुद ही अलग संघ बनाने की सोच इस प्लैटफॉर्म को छोड़ा। उसके बाद एनजीओ के संविधान में संशोधन हुआ और शिक्षकों को इसमें रहने के लिए प्रावधान ही नहीं है। मामले पर पुन: विचार करने के लिए सुप्रीम हाउस ही निर्णय ले सकता है। फिलहाल नवंबर के प्रथम सप्ताह में होने वाली जेसीसी बैठक के लिए 96 सूत्रीय जो एजेंडा सौंपा गया है उसमें शिक्षकों से जुड़ी कोई मांग शामिल नहीं है।