सरकार की कार में घूमे परिवार
जागरण संवादाता, शिमला : सुबह का वक्त.. सरकारी गाड़ी से उतर कर बच्चे स्कूल की ओर बढ़ रहे हैं.. पीछे-पी
जागरण संवादाता, शिमला : सुबह का वक्त.. सरकारी गाड़ी से उतर कर बच्चे स्कूल की ओर बढ़ रहे हैं.. पीछे-पीछे एक केयर टेकर भी बैग पकड़ कर चल रहा है। सुबह यह मंजर स्कूल छोड़ने का होता है, दोपहर को इसी क्रम में स्कूल से घर छोड़ने का। जब 'सैयां भए कोतवाल' तो संसाधन जुटाने और खर्च बचाने के लिए मंत्रिमंडलीय रिसोर्स मोबिलाइजेशन सबकमेटी क्या कर लेगी? यूं तो सरकारी गाड़ी की सुविधा अफसरों को मिलती है उन्हें घर से ऑफिस या फिर दौरे पर जाने के लिए लेकिन राजधानी में ये वाहन अफसरों के बच्चों को स्कूल और वापस घर छोड़ने में प्रयोग हो रहे हैं।
राजधानी में दो बड़े स्कूलों में दैनिक जागरण ने मंगलवार को लाइव रिपोर्टिंग की तो यही पाया। हैरानी की बात अफसरों के बच्चों को लाने के लिए चालक के साथ एक अन्य केयर टेकर भी होता है। अफसरों बच्चे सरकारी गाड़ियों से स्कूल पहुंच रहे हैं। मानो वे भी अफसर हैं। यह चलन सरकारी कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े करता है। सवाल यह कि क्या आलाअधिकारी क्या बड़े पदों पर आसीन होने के कारण नियमों को ताक पर रख सकते हैं?
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हम सरकार के, सरकार हमारी
अफसर सरकारी वाहनों को इस्तेमाल निजी वाहनों की तरह कर रहे हैं क्योंकि ये वाहन अफसरों की पत्िनयों को भी ऑफिस पहुंचाने-लाने के लिए इस्तेमाल हो रही हैं। राजधानी के कई सरकारी कार्यालयों में सुबह और शाम ऐसे वाहन देखे जा सकते हैं।
हम ठहरे सरकारी
सरकारी वाहनों का इस्तेमाल अफसर निजी कार्य में कर रहे हैं लेकिन चपत सरकारी खजाने को लग रही है। रजिस्टर में तेल का ब्योरा भरा जाता है तो उसमें सिर्फ अफसर का टूअर बताया जाता है।
चालक परेशान, डयूटी सुबह-सवेरे
सरकारी वाहनों में कार्यरत चालक भी अफसरों की आदेशों से काफी परेशान हैं। सुबह यूं तो चालकों को सरकारी अफसर को लाने के लिए घर पहुंचना पड़ता है लेकिन छोटे साहब को स्कूल ले जाने के लिए जल्दी आना पड़ता है। सबसे अधिक परेशानी लंच के समय में होती है, जब अफसर लंच ब्रेक पर होते तो चालक स्कूली बच्चों का लाने के लिए स्कूल जाते है। ऐसे में चालक कई बार लंच भी नहीं कर पाते है।
इतना सन्नाटा क्यों है भाई?
इस विषय पर आला अधिकारी चुप्पी साधे हुए है। कोई इस विषय पर कुछ नहीं कहना चाहता। सरकारी नियमों के अनुसार सरकारी वाहन बतौर निजी इस्तेमाल हो सकते हैं तो फिर अधिकारी मौन क्यों हैं, यह समझ से परे है।
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'मुझे इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। संबधित अधिकारियों से इसके बारे पता चल पाएगा। और कुछ नहीं कह सकता।'
भरत खेड़ा, सचिव सामान्य प्रशासन
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ये रहीं 'छोटे साहबों' की सवारियां
एचपी 03 0744
एचपी 01एस 1051
एचपी 7ए 0526
एचपी 03सी 1420
एचपी 07बी 0394
एचपी 07ए 1800
एचपी 07ए 0415
एचपी 07ए0003
एचपी 07 ए 391
एचपी 07 ए 0204
एचपी 63सी 0679
एचपी 07 0060