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प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल में गंदगी

By Edited By: Published: Fri, 22 Aug 2014 01:21 AM (IST)Updated: Fri, 22 Aug 2014 01:21 AM (IST)
प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल में गंदगी

संवाद सहयोगी, शिमला : भले ही आइजीएमसी अस्पताल में दो शिफ्टों में झाडू के साथ पोचा भी लग रहा हो, फर्श चमकाने के लिए तरह-तरह के केमिकल उपयोग होते रहे हों, लेकिन बावजूद इसके वास्तविकता यह है कि अस्पताल में हर तरफ गंदगी का आलम है। औपचारिकता के लिए फर्श की धुलाई तो रोजाना हो रही है, मगर विभिन्न वार्डो व मैस से निकल रही गंदगी, वेस्टेज अस्पताल के सी व डी ब्लॉक के बाहर इकट्ठा हो रही है, इसे रोजाना उठाने की कोई सुध नहीं ले रहा। नतीजतन लोगों को दुर्गध का सामना करना पड़ रहा है। गंदगी का यह ढेर पास में लगे पानी के कूलर के सामने लगा है। जहां गंदगी का आलम देखते ही बन रहा है।

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नाक बंद कर हो रहा अल्ट्रासाउंड

आइजीएमसी में अल्ट्रासाउंड करवाने को लंबी कतार में खड़े मरीज व तीमारदार नाक बंद कर खड़े रहने को विवश हैं। प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल में इस तरह की बद्तर स्थिति देख हर कोई हैरत में पड़ रहा है। सी ब्लॉक में होने वाल अल्ट्रासाउंड कक्ष के बाहर ही नहीं शौचालय व नालियों से आने वाली यह दुर्गध आइजीएमसी के पुराने भवन सीसीयू, सर्जरी वार्ड तथा अस्पताल की मेस तक पहुंचकर लोगों को नाक बंद करने पर मजबूर कर रही है।

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महिला पुरुष के कॉमन शौचालय

आइजीएमसी अस्पताल के अधिकांश शौचालयों की सफाई का विशेष ख्याल नहीं रखा जा रहा, इनसे आने वाली दुर्गध वार्ड में भर्ती मरीजों तक को परेशान कर रही है, जबकि तीमारदारों का भी पास में बैठ पाना मुश्किल हो रहा है। यहीं नहीं महिला व पुरुष को कॉमन शौचालय का इस्तेमाल करना पड़ रहा है। अस्पताल के सभी वार्डो में पुरुष-महिला के लिए कॉमन शौचालय व बाथरूम का प्रबंध किया गया है, इससे विशेषकर महिलाओं को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। मरीजों को तो कैसे न कैसे तीमारदार कॉमन शौचालय व बाथरूम का उपयोग करवा ही रहे हैं, मगर तीमारदार कई बार सोचने के बाद इनका उपयोग मजबूरी में कर रहे हैं। अस्पताल इतने वर्षो से अस्तित्व में है, लेकिन प्रशासन का अब तक इस ओर कभी ध्यान नहीं गया।

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बैठने का नहीं उचित प्रबंध

ऑपरेशन थियेटर व ओपीडी के बाहर मरीजों के बैठने की उचित व्यवस्था अस्पताल प्रशासन अब तक नहीं कर पाया है। परिणामस्वरूप तीमारदार फर्श पर बैठने को विवश हैं। अस्पताल व वार्डो के हर कॉरिडोर में लोग कतारों में जमीन पर बैठे नजर आते हैं, जबकि प्रदेश का सबसे बड़ा अस्पताल होने के नाते यहां दूरदराज जिलों से भारी संख्या में लोग इलाज के लिए पहुंच रहे हैं, मगर अव्यवस्था के आगे हर कोई बेहाल है।

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ईसीजी के बाहर लंबी कतारें

आइजीएमसी में रोजाना ईसीजी व अन्य टेस्ट करवाने को लंबी कतारें लग रही हैं, जो दोपहर बाद तक भी कम नहीं होतीं। एक-दूसरे से आगे बढ़ने की होड़ में काउंटर के सामने मरीजों व तीमारदारों में मारामारी रहती है। टेस्ट करवाने से पहले जहां लोग शुल्क जमा करवाने को काउंटर के सामने खड़े रहते हैं। वहीं, टेस्ट होने के बाद शाम के समय रिपोर्ट के लिए लोग भीड़ में धक्के खाने को मजबूर हैं। अस्पताल अब तक ऑनलाइन रिपोर्ट मुहैया नहीं करवा पा रहा है। नतीजतन लोग शाम तीन बजते ही रिपोर्ट लेने के लिए अस्पताल डिस्पेंसरी के सामने टूट पड़ते हैं। जहां रेडियो स्पीकर के जरिये मरीजों व तीमारदारों को अनाउंसमेंट सुनाई देती है।

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अल्ट्रासाउंड के बाहर दुर्गध किस चीज से फैल रही है पता लगाया जाएगा। नाली ब्लॉकेज होने के कारण सी ब्लॉक के बाहर कचरा इकट्ठा हुआ था, जिसे हटा दिया गया है। अस्पताल में सफाई का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। बीते दिनों ही मरीजों के बैठने के लिए एक लाख रुपये खर्च कर बैंच स्थापित किए गए हैं।

- डॉ. रमेश चंद,

वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक,

आइजीएमसी।


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