कागजों की कैद में ब्लैक स्पॉट्स
राज्य ब्यूरो, शिमला : हिमाचल की सर्पीली सड़कें अगर हादसों को न्योता दे रही हैं तो इसका सबसे बड़ा कारण इन सड़कों के ब्लैक स्पॉट हैं। पुलिस, पथ परिवहन निगम और लोक निर्माण विभाग ने ब्लैक स्पॉट्स पर एक सर्वेक्षण रपट तो तैयार की लेकिन वह कागजों में ही रह गई।
प्रदेश में 314 दुर्घटना संभावित स्थलों को चिह्नित तो किया गया, लेकिन किसी भी महकमे ने यह जरूरी नहीं समझा कि इन ब्लैक स्पॉट को सुरक्षित बनाकर लोगों की जिंदगियों को सुरक्षित रखा जा सके। सरकार के ध्यान में भी ब्लैक स्पॉट की रिपोर्ट कई मर्तबा लाई गई, लेकिन हर हादसे के बाद ही ब्लैक स्पॉट को दुरुस्त करने की याद शासन-प्रशासन को आती है। सर्वे रिपोर्ट में कांगड़ा में सबसे अधिक ब्लैक स्पॉट पाए गए हैं। इसके अलावा सोलन, मंडी और शिमला जिला भी ब्लैक स्पॉट के मामले काफी संवेदनशील हैं। यहां पर जरा सी भी चूक कई जिंदगी को जाने ले चुकी है। इससे अभी तक कोई सबक नहीं सीखा जा सका और शासन अगली दुर्घटना का इंतजार कर रहा है।
पुलिस के अनुसार जिन जगहों पर बार-बार हादसे होते हैं और हादसे होने की संभावना ज्यादा रहती है उसी के आधार पर ब्लैक स्पॉट चिह्नित किया जाता है।
जिला बार ब्लैक स्पॉट पर एक नजर
जिला ब्लैकस्पाट
कांगड़ा 61
बिलासपुर 18
चंबा 30
हमीरपुर 8
किन्नौर 8
कुल्लू 26
लाहुल-स्पीति 6
मंडी 37
शिमला 28
सिरमौर 30
सोलन 47
ऊना 15
2013 तैयार हुई रिपोर्ट
सर्वे रिपोर्ट 2013 में टूरिस्ट ट्रैफिक एंड रेलवे विंग ने 2006 से 2012 तक प्रदेशभर में हुए सड़क हादसों के अध्ययन के बाद उपरोक्त ब्लैक स्पाट चिह्नित किए गए हैं। इसकी रिपोर्ट सरकार को सौंपी गई है, लेकिन इसे विडंबना ही कहेंगे कि आज दिन तक इन ब्लैक स्पाट पर कोई कुछ नहीं कर पाया।
'अभी में दुर्घटनास्थल का दौरा कर रहा हूं। बात करने की स्थिति में नहीं हूं। कल इस बारे में बात करूंगा।'
-जीएस बाली, परिवहन मंत्री हिमाचल प्रदेश।