Move to Jagran APP

बिना बोली किसानों से खरीदी जा रही सस्ती सब्जी

By Edited By: Published: Thu, 31 Jul 2014 01:13 AM (IST)Updated: Thu, 31 Jul 2014 01:13 AM (IST)
बिना बोली किसानों से खरीदी जा रही सस्ती सब्जी

संवाद सहयोगी, शिमला : ढली में जिस भवन में कृषि उपज मंडी समिति शिमला व किन्नौर का पूरा सरकारी अमला बैठता है उसी भवन की धरातल मंजिल की सब्जी मंडी में खुलेआम किसानों को लूटा जा रहा है। ऐसा की वाक्या बुधवार को पेश आया, जब मशोबरा व साथ लगते क्षेत्रों में कई किसानों से सब्जीमंडी में आढ़ती ने बिना बोली लगाए 11 रुपये किलो बीन खरीदी गई, जबकि बाजार में यही बीन उपभोक्ताओं को 40 से 60 रुपये किलो बेची जा रही है। आढ़तियों की ओर से की जा रही इस मनमानी की शिकायत किसानों से मार्केटिंग सचिव से की है। किसानों की शिकायत को प्रशासन कितनी गंभीरता से लिया जाता है। इसका पता आने वाले दिनों में चल जाएगा।

loksabha election banner

उधर, किसानों ने आढ़तियों की इस मनमानी के खिलाफ सरकार से कड़ी कार्रवाई की मांग की है। किसानों का कहना है कि आढ़ती सस्ते दाम पर सब्जियां खरीद रहे हैं और यही सब्जियां बाहर की मंडियों में महंगे दाम पर बेची जा रही है। सस्ती सब्जियां खरीदे जाने से किसानों का दवाइयों पर खर्च किया गया पैसा भी पूरा नहीं हो रहा है। इसके अलावा खेतों में पूरे परिवार की ओर से की जाने वाली मेहनत तो अलग से है।

प्रदेश की सबसे बड़ी सब्जी मंडी ढली में किसान आढ़तियों की मनमानी से किसान खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। स्थिति यह है कि मंडी में गांव से सब्जियां बेचने के लिए भोलेभाले किसान आते हैं, लेकिन आढ़ती मर्जी से किसानों की सब्जियों के भाव तय करते हैं। कुछ आढ़ती सब्जियों की खुली बोली लगाते हैं तो कुछ आढ़ती बिना बोली के लिए सब्जियां रख लेते हैं। इससे किसान को पता भी नहीं चलता कि उसकी सब्जी की भाव बिकी है। भाव का पता तभी चलता है जब आढ़ती किसानों को पैसे देता है और कहता है कि आपकी सब्जी इस भाव बिकी है। इस हालात में किसान अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के भोलेभाले किसान न तो इस मनमानी के खिलाफ आवाज उठा पाते हैं और न ही कहीं इसकी शिकायत कर पाते हैं मजबूरन आढ़ती द्वारा लिया गया निर्णय ही स्वीकार करना पड़ता है।

मेहनत किसान की मुनाफा कमा रहे आढ़ती

ढली सब्जी मंडी में बुधवार को फ्रासबीन 10 से 27 रुपये प्रति किलोग्राम थोक भाव बिकी। लेकिन बाजार में फ्रासबीन का भाव 40 से 60 रुपये प्रति किलो प्रचून में रहा। जिस सब्जी को तैयार करने में किसान चार से पांच माह की मेहनत के बाद भी कमाई नहीं कर रहा, उसी सब्जी में आढ़ती और विक्रेता उससे ज्यादा कमा रहा है।

आढ़तियों पर होगी कार्रवाई

मार्केटिंग बोर्ड के सचिव बीआर गर्ग ने बताया कि इस तरह की आज से पहले कोई शिकायत नहीं मिली है। यदि ऐसा हो रहा है तो गलत है किसान की सब्जी बेचने से पहले आढ़तियों को किसान की राय भाव के बारे में लेना आवश्यक है। यदि खुली बोली नहीं हो रही तो इसके खिलाफ आढ़तियों पर कार्रवाई की जाएगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.