..अब मंत्री जी के टेबल पर अटकी है फाइल
राज्य ब्यूरो, शिमला : हिमाचल प्रदेश में आठ चिकित्सा अधिकारियों की डीपीसी (डिपार्टमेंटल प्रमोशनल कमेटी) क रने के बाद लगता है स्वास्थ्य महकमा नियुक्ति आदेश करना भूल गया है। ठीक एक माह तीन दिन पहले चिकित्सा अधिकारियों की डीपीसी कर दी गई थी। अब तक ये अधिकारी प्रमोशन की मुबारकबाद लेते लेते भी थक गए हैं लेकिन हाथ में पदोनति के लिए कोई दस्तावेज नही पहुंचे है। ऐसी फाइल सचिवालय के टेबलों पर अफसरशाही के कमरे से लेकर मंत्री जी के दरबार तक धूल फाक रही है। बताते हैं कि इन दिनों फाइल अब मंत्री जी के टेबल पर अटकी है। हालांकि इस संबंध में पदाधिकारी व अफसरशाही कुछ भी बयान देने से कतरा रही है।
ऐसी डीपीसी से ऐसे अस्पतालों के लिए भी सरदारी तय होनी है जहां पिछले एक साल से चिकित्सा अधीक्षकों के पद खाली पड़े हैं। इन अस्पताल में काम रामभरोसे चल रहा है। यही नहीं प्रशिक्षण केंद्र के लिए भी इसके तहत नियुक्तियां तय हैं। करोड़ों रुपये की आम जनता के लिए चलाई जाने वाली राष्ट्रीय कार्यक्रमों की योजनाओं को ग्रास रूट तक लागू करने वाले अधिकारियों की पद रिक्तयां भी इसी प्रकिया से भरी जानी हैं।
सूत्र बताते हैं कि 26 जून को चिकित्सा पदाधिकारियों की डीपीसी हुई। यह डीपीसी सीएमओ (चीफ मेडिकल ऑफिसर) स्तर की हुई है। बीएमओ (ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर) से सीएमओ के पद पर यह ताजपोशियां होनी हैं। ऐसे सीएमओ के पद सीनियर मेडिकल अधिकारियों, स्वास्थ्य निदेशालय में उपनिदेशकों के बराबर यह पद हैं। प्रशिक्षण केंद्रों में प्राचार्य भी सीएमओ के बराबर पोस्ट मानी जाती है। आरोप यह लगाए जा रहे हैं कि जानबूझ कर ऐसी सुस्ती बरती जा रही है।
यहां भरे जाने हैं पद
इस डीपीसी से स्वास्थ्य निदेशालय में तीन उपनिदेशकों के पदों को भरा जाना है जो वर्तमान में खाली चल रहे है। कांगड़ा के छेब प्रशिक्षण केंद्र तथा परिमहल में दो प्राचार्य के पदों पर नियुक्ति होनी है। इसके अतिरिक्त कांगड़ा में सीएमओ तथा घोड़ाचौकी व मंडी में वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी के पद भरे जाने हैं। स्वास्थ्य निदेशालय में तीन उपनिदेशकों के पद भी इसी डीपीसी से सृजित किए जाने हैं। अभी तक महकमा ऐसे अधिकारियों के लिए स्टेशन ही नहीं खोज पाया है।