वैट कानून उल्लंघन की आरोपी कंपनी को क्लीनचिट
राज्य ब्यूरो, शिमला : आइटी सुरक्षा समाधान प्रदाता कंपनी क्विक हील टेक्नोलाजिस को अतिरिक्त आयुक्त उत्पाद एवं कराधान और अपीलेट अथॉरिटी शिमला ने क्लीनचिट दे दी है। कंपनी पर प्रदेश में वैट कानून के उल्लंघन का आरोप था।
प्रदेश मूल्यवर्धित कर कानून 2005 के अनुच्छेद 45 के तहत अपील नंबर 176/2012-2013 के विरुद्ध यह आदेश स्पष्ट कहता है कि यहा प्रदेश में वैट कानून के तहत कोई देयता बकाया नहीं है। क्विक हील की अपील को स्वीकार किया गया और असेसिंग अथॉरिटी के आदेश को अलग कर दिया गया है। असेसिंग अथॉरिटी ने प्रदेश में वैट कानून के उल्लंघन का आरोप लगाया था इसके फलस्वरूप 2012 में करोड़ रुपये की माग की थी। आरोप था कि क्विक हील ने वैट से कर अपवंचना की थी। अतिरिक्त उत्पाद एवं कराधान आयुक्त एवं अपीलेट अथॉरिटी, साउथ जोन, हिमाचल ने अपने आदेश में कहा कि एचपी वैट कानून के तहत कर चुकाने का दायित्व विक्रता पर डाला गया है, न कि विक्रेता पर। एचपी वैट कानून के प्रावधानों के अनुसार इस मामले में कर चुकाने का दायित्व विक्रेत (जॉब वर्कर्स) पर होता है। मेसर्स क्विक हील के विक्रेता होने के नाते वैट चुकाने का कोई दायित्व नहीं है। वह भी बिक्री मूल्य पर जो मीमासात्मक मूल्य के समायोजन के बाद हो। तदनुसार अपीलेंट की अपील को मान लिया गया और असेसिंग अथॉरिटी के आदेश को रद कर दिया गया।
कंपनी के अधिकारी के अनुसार यह मामला जानबूझकर क्विक हील की ख्याति को बिगाड़ने का एक प्रयास और राज्य में इसकी सफलता में रोड़ा डालना था।
क्विक हील टेक्नोलाजिस के संस्थापक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी कैलाश काटकर ने कहा कि इन विगत वर्षो के दौरान क्विक हील ने जो साख एवं विश्वसनीयता अर्जित की है, उसे झूठा साबित करने के इन आधारहीन प्रयासों से हम भयभीत नहीं होंगे। हम इन सभी असत्य आरोपों तथा षड्यंत्रों को निरस्त करने का सम्मान करते हैं। क्विक हील ने एक क्रिएशन कंपनी मेसर्स साफ्ट टॉक टेक्नोलॉजी के खिलाफ मानहानि का मामला दायर किया है जो कंपनी की अहित करने की कोशिश कर रही है।