Move to Jagran APP

पहली स्टेज में पता चलेगी गुर्दे की बीमारी

मूत्र में एल्बुमिन (प्रोटीन) की मात्र बढ़ने से गुर्दे में होने वाली बीमारी का निकट भविष्य में प्रारंभिक अवस्था में पता लगाना संभव होगा। इससे गुर्दो को क्षति नहीं पहुंचेगी।

By Munish DixitEdited By: Published: Tue, 21 Mar 2017 12:16 PM (IST)Updated: Tue, 21 Mar 2017 12:29 PM (IST)
पहली स्टेज में पता चलेगी गुर्दे की बीमारी
पहली स्टेज में पता चलेगी गुर्दे की बीमारी

मंडी [हंसराज सैनी]: मूत्र में एल्बुमिन (प्रोटीन) की मात्र बढ़ने से गुर्दे में होने वाली बीमारी का निकट भविष्य में प्रारंभिक अवस्था में पता लगाना संभव होगा। इससे गुर्दो को क्षति नहीं पहुंचेगी और न ही मरीज का जीवन संकट में पड़ेगा। मूत्र में एल्बुमिन की जांच अब सूक्ष्म स्तर पर संभव होगी। इस सपने को साकार करने का जिम्मा केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रलय के प्रभाव अनुसंधान एवं अभिनव प्रौद्योगिकी संस्थान ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मंडी को सौंपा है। आइआइटी मंडी के स्कूल ऑफ कंप्यूटिंग एवं इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग व स्कूल ऑफ बेसिक साइंस के विशेषज्ञ मूत्र में एल्बुमिन की सूक्ष्म मात्र का पता लगाने के लिए उपकरण बनाने में जुट गए हैं।

loksabha election banner

यह भी पढ़ें: IIT मंडी की इस तकनीक से अब स्वच्छ व निर्मल होंगी देश की नदियां

अनुसंधान पर करीब 75.20 लाख रुपये खर्च होंगे। मूत्र में एल्बुमिन की मात्र जांचने के लिए वर्तमान में यूरोस्टिप या फिर सल्फोसाइलिसिलिक एसिड टेस्ट किया जाता है। यूरोस्ट्रिप व सल्फोसाइलिसिलिक एसिड टेस्ट से 30 मिलीग्राम फीसद से नीचे की मात्र में अगर मूत्र में एल्बुमिन आ रहा हो तो इसका पता लगाना संभव नहीं है। मूत्र में एल्बुमिन आने की जब तक पुष्टि होती है तब तक गुर्दे को काफी नुकसान पहुंच चुका होता है। आइआइटी सूक्ष्म स्तर पर एल्बुमिन की मात्र जांचने के लिए एक स्टिप जैसा उपकरण बनाने जा रहा है। यह स्ट्रिप मार्केट में 40 से 50 रुपये में उपलब्ध होगी। इसमें नोवल आर्गेनिक डाई का इस्तेमाल होगा। स्टिप में मूत्र की एक व दो बूंद डालने से वह एल्बुमिन की सही मात्र बता देगी।

यह भी पढ़ें: रिटायर्ड प्रोफेसर ने बनाया सौर ऊर्जा से चलने वाला कूलर

मूत्र में एल्बुमिन की मात्र का अब सूक्ष्म स्तर पर पता लगाना संभव होगा। प्रारंभिक अवस्था में पता चलने से गुर्दो को नुकसान होने से बचाया जा सकता है। आइआइटी में स्टिप (उपकरण) बनाने पर अनुसंधान शुरू हो गया है।- शुभजीत रॉय चौधरी, सहायक प्रोफेसर स्कूल ऑफ कंप्यूटिंग एंड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग आइआइटी मंडी।

मूत्र में एल्बुमिन का सूक्ष्म स्तर पर पता लगाना अभी संभव नहीं है। आइआइटी के विशेषज्ञ अगर उपकरण बनाने में कामयाब रहे तो चिकित्सा जगत के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि होगी।- डॉ. देसराज शर्मा, चिकित्सा अधीक्षक लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज नेरचौक।

यह भी पढ़ें: गंगा को निर्मल बनाएंगे आइआइटी के 400 छात्र

क्या है एल्बुमिन

एल्बुमिन प्रोटीन का एक हिस्सा है। यह शरीर में कोशिका वृद्धि व उत्तकों की मरम्मत में काम करता है। एल्बुमिन आमतौर पर रक्त में पाया जाता है। गुर्दे रक्त से अनचाहे तत्वों को निकालने का काम करते हैं। मधुमेह व उच्च रक्तचाप तथा कई अन्य प्रकार की बीमारियों में मूत्र में एल्बुमिन आना शुरू हो जाता है। इससे गुर्दे को क्षति पहुंचना शुरू हो जाती है। क्या हैं लक्षण : झागदार मूत्र का आना, हाथ, पांव, पेट व चेहरे पर सूजन, रक्तचाप बढ़ना।

ह‍िमाचल प्रदेश की अन्‍य खबरों के ल‍िए यहां क्‍लिक करें:


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.