भवनों से नहीं, चिकित्सकों से मिलती है स्वास्थ्य सुविधा
राजेश शर्मा, जोगेंद्रनगर आजादी से पहले बने नागरिक अस्पताल जोगेंद्रनगर का स्वरूप तो बदल गया है, लेक
राजेश शर्मा, जोगेंद्रनगर
आजादी से पहले बने नागरिक अस्पताल जोगेंद्रनगर का स्वरूप तो बदल गया है, लेकिन चिकित्सकों के पद रिक्त होने से यहां पर मरीजों को परेशान होना पड़ता है। विशेषज्ञ चिकित्सकों का तबादला होने से मरीजों का मर्ज यहां और भी बढ़ गया है। क्षेत्र की 40 पंचायतों की डेढ़ लाख से अधिक की आबादी के लोगों के स्वास्थ्य पर निर्भर उपमंडलीय अस्पताल में स्वीकृत 19 पदों में से 13 पद साल से खाली पड़े हुए हैं। इन्हें भरने में पूर्व और वर्तमान सरकार नाकाम साबित हुई है। लचर स्वास्थ्य सुविधा से क्षेत्र की जनता त्रस्त है। लेकिन क्षेत्र के दिग्गज राजनेता भी लोगों की समस्या का हल करवाने में नाकाम साबित हो रहे हैं। अस्पताल में मौजूद तमाम सुविधाएं और करोड़ों रुपये की बहुमंजिला इमारतें सफेद हाथी बनी हुई हैं। ऐसा नहीं है कि इस अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती नहीं की गई थी, लेकिन अस्पताल से लगातार विशेषज्ञ चिकित्सकों का तबादला होना जारी है। कई किलोमीटर का सफर तय करने के बाद अस्पताल से रोजाना दर्जनों मरीज बिना उपचार ही लौट रहे हैं। इनमें कुछ मरीज निजी अस्पतालों का भी रुख करने को मजबूर हैं। जहां उन्हें महंगा इलाज करवाना पड़ रहा है।
उपमंडल के 27 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लडभड़ोल और चौंतड़ा का स्वास्थ्य केंद्र भी एक ही चिकित्सक पर निर्भर है। इन स्वास्थ्य केंद्रों से चिकित्सकों के अवकाश पर चले जाने पर स्वास्थ्य सुविधाएं और अधिक चरमा जाती हैं। क्षेत्र के प्रबुद्ध लोगों का कहना है कि नागरिक अस्पताल जोगेंद्रनगर के पुराने स्वरूप के दौरान विशेषज्ञ चिकित्सकों की मौजूदगी में शल्य चिकित्सा भी होती थी, वहीं हड्डी विशेषज्ञ भी क्षेत्र की जनता को काफी राहत प्रदान करते थे। समय के अनुसार अस्पताल का स्वरूप बदला गया तो डॉक्टर न होने से सभी सुविधाएं बेमानी साबित हो रही हैं। लोगों को उपचार के लिए जिला मंडी और कांगड़ा के अस्पतालों में रेफर किया जा रहा है। अधिकतर मरीजों का समय पर उपचार न होने के कारण मौत भी हो चुकी है। प्रतिवर्ष अस्पताल में लाखों रुपये की दवाएं और अन्य सामग्री भी पहुंच रही है।
इन चिकित्सकों की है कमी
नागरिक अस्पताल जोगेंद्रनगर से वर्ष 2003 से शल्य चिकित्सक और 2007 से हड्डी विशेषज्ञ का पद खाली पड़ा हुआ है। वर्ष 2012 से महिला विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं है। 100 बिस्तर वाले अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट भी नहीं है। इसके अलावा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लडभड़ोल में दो चिकित्सक, एक फार्मासिस्ट और दो चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी तथा स्वास्थ्य केंद्र चौंतड़ा में भी चिकित्सकों का अभाव है।
पूर्व भाजपा सरकार में विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती की गई थी। जिनका राजनीतिक द्वेष के चलते तबादला किया गया है। प्रदेश में कांग्रेस सरकार सत्तासीन है। अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती करना सरकार की नैतिक जिम्मेदारी बनती है। अस्पताल की समस्या को बीते चार वर्षो से बड़ी प्रमुखता से उठा चुका हूं। विपक्षी पार्टी का विधायक हूं, इसलिए जानबूझ कर अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती सरकार द्वारा नहीं की जा रही है।
- ठाकुर गुलाब ¨सह, विधायक जोगेंद्रनगर।
अस्पताल की समस्या को स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह के ध्यान में लाया था। अस्पताल को चार स्टाफ नर्से और जिला के तीन चिकित्सकों को आपातकालीन सेवा देने के आदेश जारी हो चुके हैं। अस्पताल में मेडीसिन विशेषज्ञ, शिशु विशेषज्ञ, आंख विशेषज्ञ की तैनाती की गई है। अन्य विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती का आश्वासन भी स्वास्थ्य मंत्री की ओर से मिला है। समस्या को दोबारा मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह के के समक्ष लाया जाएगा।
- राकेश चौहान, प्रदेश कांग्रेस सचिव।