वेतन निकालना कर्मचारियों के लिए आसान नहीं
संवाद सहयोगी, जोगेंद्रनगर : कर्मचारियों को बैंक से सैलरी निकालना आसान नहीं है। नोटबंदी के बाद पहली स
संवाद सहयोगी, जोगेंद्रनगर : कर्मचारियों को बैंक से सैलरी निकालना आसान नहीं है। नोटबंदी के बाद पहली सैलरी मिलने के बाद तीसरे दिन भी शहर के सभी सरकारी व निजी बैंकों में कर्मचारियों व पेंशनर्स को लंबी कतारों में लगने के बाद महज छह हजार रुपये से ही संतुष्टि करनी पड़ी है।
कर्मचारियों को घरेलू खर्च के लिए माह के शुरुआत में ही पैसा निकलवाना होता है। इससे वे घर का राशन, बिजली व दूध का बिल सहित मकान का किराया भी अदा करना होता है, लेकिन आरबीआई की चेस्ट से ही नोटों की कमी के कारण बैंक प्रबंधकों को भी भुगतान करना बड़ी समस्या बन चुका है।
नोटबंदी का असर जोगेंद्रनगर में भारतीय सेना से छुट्टी लेकर आए सैनिकों को भी भुगतना पड़ा है। एक महीने का अवकाश बैंक के चक्कर काटने में ही पूरा हो चुका है। द्राहल पंचायत के सुशील सेन राष्ट्रीय राइफल में बतौर नायक जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में तैनात हैं। करीब एक महीना पहले ही वह अपने मकान का अधूरा कार्य पूरा करवाने के लिए अवकाश पर आए हुए हैं। उन्होंने बताया कि वह एक महीने से शहर के बैंकों में कैश के लिए चक्कर काट रहे हैं, लेकिन मांग अनुसार कैश नहीं मिल पाया है। रविवार को उनकी ज्वाइनिंग है। इसी पंचायत के भूपेंद्र सिंह सेना में बतौर नायक पंजाब के गुरदासपुर में तैनात हैं। उन्हें भी नोटबंदी का खमियाजा भुगतना पड़ा है।
उधर पंजाब नेशनल बैंक के प्रबंधक प्रमोद कुमार का कहना है कि बैंक में मांग अनुसार कैश नहीं पहुंच रहा है। बाबजूद उसके भी कर्मचारियों व वरिष्ठ नागरिकों को प्राथमिकता के हिसाब से कैश दिया जा रहा है। हालांकि भारतीय स्टेट बैंक शाखा में सरकारी कर्मचारियों को कुछ राहत मिली है। उधर शहर के एटीएम के बाहर भी लोगों की लंबी लाइनें दिनभर लगी रही।