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इस शहीद की किसी को नहीं याद

बबलू भारद्वाज, बग्गी सोलह साल पहले देश के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने वाले नाचन हलके के बग्गी

By Edited By: Published: Sat, 30 Jul 2016 01:07 AM (IST)Updated: Sat, 30 Jul 2016 01:07 AM (IST)
इस शहीद की किसी को नहीं याद

बबलू भारद्वाज, बग्गी

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सोलह साल पहले देश के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने वाले नाचन हलके के बग्गी निवासी शहीद प्रेम दास को सरकार व प्रशासन ने भुला दिया है। उनके परिजनों को सुविधाएं देना व उनके नाम पर स्कूल खोलना तो दूर अब उन्हें शहीदी दिवस पर होने वाले कार्यक्रमों में भी याद नहीं किया जाता है। इससे परिजन आहत हैं।

शहीद प्रेम दास की पत्नी धर्मा देवी का कहना है कि उनके पति ने भी अन्य वीरों की तरह अपने देश के लिए दुश्मनों से लोहा लेते हुए बलिदान दिया था। उनके पति प्रेम दास जब शहीद हुए तो उस समय सरकार व प्रशासन ने बड़े-बड़े वादे किए थे, लेकिन वह मात्र एक दिखावा ही रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने बग्गी विद्यालय को शहीद प्रेम दास के नाम पर चलाने का विश्वास दिलाया था, लेकिन वह वादा भी अब तक पूरा नहीं किया गया। पंचायत बग्गी के गांव कांगरू के शहीद प्रेम दास ने 22 जुलाई 2000 को जम्मू में सुंदरमणी सांभा के अखनूर सेक्टर में भारत माता की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहूति दी थी।

शहीद प्रेम दास अगस्त 1996 में थ्री ग्रिनेडियर डोगरा रेजिमेंट में भर्ती हुए थे। उनकी शादी 1999 में गागल की धर्मा देवी से हुई थी। धर्मा देवी के हाथों की मेंहदी भी नहीं उतरी थी कि उसके पति शहीद हो गए। जब प्रेम दास शहीद हुए उस समय उनकी धर्मा देवी के गर्भ में सात महीने का बच्चा पल रहा था। धर्मा देवी का कहना है कि नेता शहादत के नाम पर लोगों को गुमराह करते हैं। उनके पति की शहादत के बाद तत्कालीन विधायक टेक चंद डोगरा ने बग्गी विद्यालय का नाम शहीद प्रेम दास रखने का आश्वासन दिया था। विद्यालय का नाम रखने की बात तो दूर उन्हें कभी याद तक नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि क्या उनके पति ने देश की सेवा नहीं की, क्या उनका नाम जिला प्रशासन मंडी के पास दर्ज नहीं है। अगर दर्ज है तो शहीदों के लिए होने वाले कार्यक्रम में उनके पति का नाम क्यों नहीं आता।

बेटे को पिता की शहादत पर गर्व

प्रेम दास की शहादत के तीन माह बाद उनका बेटा इस दुनिया में आ गया। घर में छाया हुआ अंधेरा इस चिराग के आने से छंट गया। शहीद की पत्नी ने हमेशा अपने बेटे सूरज को आगे बढ़ने की प्रेरण दी। सुरज बहुतकनीकी संस्थान में इंजीनिय¨रग कर रहा है। 16 वर्षीय सूरज का कहना है कि मैंने तो अपने पिता को फोटो में ही देखा है। मुझे अपने पिता शहीद प्रेम दास पर गर्व है कि वह अपने देश के लिए कुर्बान हुए हैं। मैं उन्हें हमेशा याद करता रहूंगा।


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