कोताही से हुआ था टिहरा सुरंग हादसा
हंसराज सैनी, मंडी मंडी व बिलासपुर जिला की सीमा पर टिहरा में बन रही फोरलेन की यातायात सुरंग में निर
हंसराज सैनी, मंडी
मंडी व बिलासपुर जिला की सीमा पर टिहरा में बन रही फोरलेन की यातायात सुरंग में निर्माण कार्य में बरती गई कोताही से हादसा हुआ था। मानकों को ताक पर रखकर सुरंग का निर्माण कार्य किया जा रहा था। आपदा से निपटने व मजदूरों की सुरक्षा को लेकर यातायात सुरंग का निर्माण कार्य कर रही कंपनी की तरफ से कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए थे। आठ माह की जांच के बाद मंडलायुक्त मंडी देवेश कुमार ने टिहरा सुरंग हादसे की रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। रिपोर्ट में हादसे के लिए निर्माण कार्य में बरती गई लापरवाही को हादसे के लिए जिम्मेदार ठहराया है। इस रिपोर्ट के आधार पर दोषियों के विरुद्ध अब क्या कार्रवाई होगी, यह अब सरकार पर निर्भर है।
निर्माणाधीन टिहरा सुरंग में पिछले साल 12 सितंबर की रात करीब आठ बजे पहाड़ी दरक गई थी। इससे सुरंग का एक बड़ा हिस्सा मलबे से भर गया था। सुरंग में जिस समय पहाड़ी दरकी थी उस समय मजदूरों की शिफ्ट बदल रही थी। काफी मजदूरों ने भाग कर अपनी जान बचा ली थी, लेकिन तीन मजदूर सुरंग बंद होने से अंदर फंस गए थे। मलबे की चपेट में आने से नाचन हलके के दयारगी के रहने वाले हिरदा राम की मौत हो गई थी। जबकि सिरमौर के सतीश व मंडी जिला के मनी राम को नौ दिन के प्रयास के बाद सुरक्षित बचा लिया गया था। इस हादसे में सकुशल बचे मनी राम ने भी कंपनी प्रबंधन पर निर्माण कार्य में कोताही बरतने का आरोप लगाया था।
सरकार ने मंडलायुक्त को सौंपा था जिम्मा
सरकार ने मंडलायुक्त मंडी देवेश कुमार को जांच का जिम्मा सौंपा था। करीब 1270 मीटर लंबी टिहरा सुरंग का 150 मीटर तक निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया था। निर्माण कार्य कर रही कंपनी ने इस हिस्से में पूरी तरह से रॉक वो¨ल्टग व री¨बग नहीं की थी। इससे 100 मीटर की दूरी पर सुरंग धंसने से पहाड़ी का मलबा सुरंग में भर गया था। मलबा आठ माह बाद भी नहीं हट पाया है। मलबे में दबे हिरदा राम का भी अब तक कोई सुराग नहीं लग पाया है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकारी पहले इस मामले को प्रदेश सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर बताते रहे। कई माह तक रिकार्ड उपलब्ध करवाने में आनाकानी की गई। जांच अधिकारी द्वारा नोटिस जारी पर रिकार्ड उपलब्ध करवाया गया था।
कब, क्या हुआ था
12 सितंबर - रात आठ बजे सुरंग में 100 मीटर की दूरी पर मलबा गिरा, तीन मजदूर फंस गए।
16 सितंबर - कैमरे व माइक्रोफोन के जरिये दो मजदूरों से बातचीत हुई। बिस्किट, जूस, दवाएं भेजी गई।
19 सितंबर - ड्रिल मशीन में खराबी आने के कारण बचाव अभियान रुक गया। बारिश ने भी बाधा डाली।
20 सितंबर - सुबह उपकरण पहुंचने के बावजूद मशीन नहीं चली। प्रशासन ने देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की।
21 सितंबर - अभियान दोबारा शुरू हुआ, शाम चार बजे कामयाबी मिली।
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टिहरा सुरंग हादसे की जांच रिपोर्ट सरकार को सौंप दी गई है। जांच में सभी पहलुओं को ध्यान में रखा गया था। रिपोर्ट पर अब क्या कार्रवाई होती है। यह सरकार पर निर्भर है।
- देवेश कुमार, मंडलायुक्त मंडी।