बिनू राम का इंतकाल हो गया पर जमीन का नहीं
जागरण संवाददाता, मंडी : प्रदेश सरकार चाहे जितने मर्जी फरमान जारी करती रहे कि गरीब व भूमिहीन लोगों को
जागरण संवाददाता, मंडी : प्रदेश सरकार चाहे जितने मर्जी फरमान जारी करती रहे कि गरीब व भूमिहीन लोगों को दी जाने वाली भूमि पर शीघ्र निर्णय लिए जाएं, लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां करती है। बिनू राम को 1985 में आर्थिक आधार पर कमजोर वर्ग के लोगों को मकान बनाने की योजना के तहत 30 वर्ग मीटर भूमि पुरानी मंडी में स्वीकृत की गई थी। इस पर बिनू राम ने अपने जीवनकाल में सरकार से छह हजार रुपये आर्थिक सहायता लेकर मकान भी बना लिया। सरकार से लिए गए धन को किस्तों में वापस कर दिया। आश्चर्य की बात तो यह है कि जिस भूमि को सरकार ने मकान बनाने के लिए कमजोर वर्ग योजना के तहत स्वीकृत किया था व जिस पर मकान बनाने के लिए आर्थिक सहायता दी थी, वह भूमि अब तक हिमाचल सरकार के नाम ही चल रही है। इस दौरान बिनू राम का इंतकाल हो गया पर भूमि का इंतकाल नहीं हुआ।
स्व. बिनू राम के बेटे ने जब इसकी जानकारी सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत एसडीएम कार्यालय से मागी तो यह सारा खुलासा हुआ। सूचना में बताया गया कि बिनू राम को भूमि स्वीकृत हुई थी। इनका नाम भूमि स्वीकृत लोगों की सूची के क्रम संख्या तीन पर दर्ज है, लेकिन संबंधित फाइल न तो तहसील कार्यालय में और न ही एसडीएम कार्यालय में उपलब्ध है। इस कारण भूमि का इंतकाल नहीं हो रहा है। बिनू राम के पुत्र केवल कुमार ने इसे एसडीएम व तहसीलदार कार्यालय की एक गंभीर चूक बताया है। फाइल उपलब्ध न होने के कारण जमीन का इंतकाल नहीं हो रहा है। इससे बिनू राम के परिवारजन भी अपने हक से वंचित हो गए हैं।
कानूनी सलाहकार बीआर कौंडल ने इसे गंभीर मामला बताते हुए उपायुक्त मंडी से उठाने की बात कही है।
उधर, उपायुक्त मंडी संदीप कदम का कहना है कि मामले की जांच करवाई जाएगी।