आशुलिपिकों के समर्थन में उतरा कर्मचारी महासंघ
जागरण संवाददाता, मंडी : अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ ने प्रदेश के विभिन्न विभागों में नियुक्त आशुटंकक
जागरण संवाददाता, मंडी : अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ ने प्रदेश के विभिन्न विभागों में नियुक्त आशुटंकक व आशुलिपिक वर्ग पर प्रदेश के कार्मिक विभाग की सिफारिश पर लगाई जा रही अवाछित शर्तों का विरोध किया है। मंडी जिला अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के प्रधान देवराज शर्मा, महासचिव अमरजीत शर्मा तथा प्रेस सचिव जयपाल चौधरी ने कहा कि आशुलिपिक वर्ग पिछले कई वर्ष से सरकार की उपेक्षा का शिकार हो रहा है। 1986 से इस वर्ग पर द्विभाषीय परीक्षा पास करने की शर्त व अब वर्ष 2012 से स्नातक पास करने की अनावश्यक शर्त से निराशा है। सरकार ने वर्ष 1986 से हिंदी आशुलिपिकों को अंग्रेजी आशुलिपि की परीक्षा पास करने की अनावश्यक शर्त लगाई जिसे हटाने के लिए इस वर्ग के कर्मचारियों ने कई बार सरकार से गुहार लगाई। पूर्व सरकार के कार्यकाल में जेसीसी की बैठक में इस मुद्दे को उठाया और सरकार ने इस वर्ग को विभागीय स्तर पर परीक्षा पास करने की एकमुश्त छूट प्रदान कर दी। इससे सैकड़ों आशुलिपिकों को राहत मिली और उन्हें पिछले 10 वर्षो की अवधि से रूकी वेतनवृद्धियां बहाल हुई। पूर्व सरकार ने आशुलिपिक वर्ग को विभागीय स्तर परीक्षा पास करने की राहत प्रदान की वहीं उन्हीं के कार्यकाल में कार्मिक विभाग द्वारा वर्ष 2012 से इस वर्ग के भर्ती एवं पदोन्नति नियमों में संशोधन कर शैक्षणिक योग्यता का पेच फंसाकर उन्हें गंभीर चिंता में डाल दिया है। उनका कहना है कि शैक्षणिक योग्यता की शर्त नए भर्ती होने वाले कर्मचारियों पर लागू होना तो सही है लेकिन सेवानिवृति के कगार पर बैठे कर्मचारियों पर ऐसी शर्त थोपना किसी भी प्रकार यथार्थ व तार्किक नहीं है। वरिष्ठ सहायक से अधीक्षक बनने के लिए शैक्षणिक योग्यता का कोई पैमाना नहीं है। कई विभागों की स्थिति तो यह है कि वहा कार्यरत अधिकारी लिपिक से पदोन्नत हुए हैं। कर्मचारी नेताओं ने कहा कि प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के प्रधान जोगटा, महासचिव गोपाल कृष्ण तथा हिमाचल प्रदेश कर्मचारी कल्याण बोर्ड के उपाध्यक्ष सुरेन्द्र मनकोटिया के ध्यान में लाकर उनसे इस मसले को आगामी जेसीसी की बैठक में उठाने का आग्रह किया है।