बीमा कंपनी दे 30 हजार मुआवजा
जागरण संवाददाता, मंडी : जिला उपभोक्ता फोरम ने बीमा कंपनी को उपभोक्ता के पक्ष में 30,000 रुपये मुआवजा राशि ब्याज सहित अदा करने का फैसला सुनाया है। इसके अलावा बीमा कंपनी की सेवाओं में कमी के कारण उपभोक्ता को हुई परेशानी और असुविधा के बदले 3000 रुपये हर्जाना और 2000 रुपये शिकायत व्यय भी अदा करने के आदेश दिए है।
जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष जेएन यादव,रमा वर्मा व आकाश शर्मा ने जोगिंद्रनगर तहसील के कटवाली (भराडु) निवासी राम देई पत्नी इंद्र सिंह की शिकायत को उचित मानते हुए न्यू इंडिया बीमा कंपनी लिमिटेड को उपभोक्ता के पक्ष में उक्त मुआवजा राशि का भुगतान नौ प्रतिशत ब्याज दर सहित करने का फैसला सुनाया है। अधिवक्ता अभिषेक लखनपाल के माध्यम से फोरम में दायर शिकायत के अनुसार उपभोक्ता ने गाय का कंपनी के पास बीमाकृत करवाया था। बीमा अवधि के दौरान ही गाय की मौत हो गई, जिसका पोस्टमार्टम भराड़ू में पशु चिकित्सक से करवाया गया था। उपभोक्ता ने कंपनी को गाय की मौत की सूचना देकर मुआवजे के लिए आवश्यक दस्तावेज मुहैया करवाए थे। लेकिन कंपनी ने मृत गाय का मुआवजा तय न करके इसे खारिज कर दिया था। ऐसे में उपभोक्ता ने बीमा कंपनी की सेवाओं में कमी को लेकर फोरम में शिकायत दर्ज करवाई थी। फोरम ने अपने फैसले में कहा कि गाय का बीमा होने और उसकी मौत हो जाने के बारे में कोई विवाद नहीं है। इस मामले में कंपनी की ओर से गाय की मौत के कारणों पर विवाद किया था। कंपनी के अनुसार उपभोक्ता ने उन्हे गाय की मौत का कारण ऊंचाई से गिरना बताया था। लेकिन मुआवजा के दस्तावेजों के साथ संलग्न पोस्टमार्टम रिपोर्ट में चिकित्सक ने गाय की मौत का कारण रूमिनल इंफेक्शन बताया था। फोरम ने कहा कि अगर बीमाकृत गाय की ही मौत हुई है तो कंपनी का मुआवजा खारिज करने का आधार न केवल गलत है बल्कि गैरकानूनी भी है। इस मामले में गाय की मौत का कारण चाहे जो भी रहा हो, लेकिन यह सपष्ट है कि मृत गाय वही थी जिसे बीमा कंपनी के पास बीमाकृत करवाया गया था। अगर ऐसा था तो कंपनी को मुआवजा खारिज नहीं करना चाहिए था। कंपनी की मुआवजा खारिज करने की कार्यप्रणाली सेवाओं में कमी को दर्शाती है। जिसके चलते फोरम ने बीमा कंपनी को उक्त मुआवजा राशि ब्याज सहित अदा करने के आदेश दिए है। वहीं पर कंपनी की सेवाओं में कमी के कारण उपभोक्ता को हुई मानसिक परेशानी और असुविधा के बदले हर्जाना राशि और शिकायत व्यय भी देने का फैसला सुनाया है।