पांच साल में 1431 लोग हुए सड़क हादसे का शिकार
संवाद सहयोगी, कुल्लू : प्रदेश की सर्फीली सड़कों पर हो रहे सड़क हादसे झकझोर रहे हैं। एक सप्ताह के भी
संवाद सहयोगी, कुल्लू : प्रदेश की सर्फीली सड़कों पर हो रहे सड़क हादसे झकझोर रहे हैं। एक सप्ताह के भीतर कई सड़क हादसों में अनेक ¨जदगियां खत्म हो गई, जबकि कई लोग घायल होकर अस्पतालों में उपचाराधीन हैं।
कुल्लू घाटी में भी अनेक लोग हादसों का शिकार हुए हैं। पांच साल के भीतर जिला में हुए सड़क हादसों में 1431 लोग शिकार हुए हैं। इनमें 20 से 30 साल की उम्र के युवा सबसे अधिक 40 फीसद यानी 618 युवा शामिल हैं। जिला में सड़क हादसों में मौतों का खुलासा खुलासा एंबुलेंस 108 द्वारा किए गए सर्वे से हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक 2011 से 2015 तक प्रदेश में सबसे अधिक सड़क हादसों में कांगड़ा जिला के लोग शिकार हुए हैं। कुल्लू में इन वर्षों में 1431 लोगों को जिंदगी गंवानी पड़ी। सर्वे में जिला कुल्लू में 54 ब्लैक स्पाट हैं, जो सड़क हादसों के लिहाज से अति संवेदनशील हैं। सर्वे में यह बात भी सामने आई कि प्रदेश की सड़कों पर मई, जून, अगस्त, अक्तूबर और नवंबर में सबसे अधिक सड़क हादसे होते हैं।
एंबुलेंस 108 मंडी जोन के प्रभारी मुश्ताक अहमद ने बताया कि 108 आपातकालीन सेवा ने दिसंबर 2010 से अप्रैल 2016 तक कुल 710336 आपातकालीन मामलों को निपटाया है। इनमें से 40077 आपातकालीन मामले सड़क हादसों से संबंधित हैं।
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पांच साल में हुए हादसों का जिलाबार ब्योरा
जिला सड़क हादसे
कांगड़ा 7716
ऊना 5544
सोलन 5615
शिमला 4578
मंडी 4035
सिरमौर 3656
हमीरपुर 3077
बिलासपुर 2551
चंबा 1440
कुल्लू 1431
लाहुल-स्पीति 168
किन्नौर 266
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ऐसे आ सकती है हादसों में कमी
1. हादसे होने वाले खतरनाक स्थानों पर सूचना या चेतावनी बोर्ड लगाए जाएं।
2. ट्रैफिक पुलिस की ओर से कर्मचारी की तैनाती की जाए।
3. ऐसे स्थानों से पहले स्पीड ब्रेकर बनाए जाएं।
4. रे¨लग, पैरापिट या रोड डिवाइडर के इंडीकेटर लगाए जाएं।
5. सड़कों की हालत सुधारी जाए।
6. नशे में वाहन न चलाएं और न ही मोबाइल फोन सुनें।