खनन माफिया के सामने सरकार भी बेबस
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के सीमांत क्षेत्रों में अवैध खनन माफिया के हौंसले बुलंद हैं। हद तो यह है कि कानून भी इतना प्रभावी नहीं है जो खनन माफिया की राहें रोक सके।
धर्मशाला [दिनेश कटोच] : हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के सीमांत क्षेत्रों में अवैध खनन माफिया के हौंसले बुलंद हैं। हद तो यह है कि कानून भी इतना प्रभावी नहीं है जो खनन माफिया की राहें रोक सके। साथ ही सरकारी अमला भी इनके आगे बेबस नजर आ रहा है। यही वजह है कि एक दिन की छापेमारी में चालान व जुर्माने की राशि खजाने में जमा होने के बाद खनन माफिया के रास्ते दोबारा से खुल जाते हैं और फिर शुरू होता है धड़ल्ले से अवैध खनन।
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दैनिक जागरण ने प्रदेश के सीमांत क्षेत्रों में अवैध खनन का जायजा लिया तो यहां माफिया पर नुकेल कसने के दावे बेअसर प्रतीत हुए। प्रशासनिक कार्रवाई का इतना असर जरूर है कि दिन में खनन कम होता है लेकिन रात को बदस्तूर जारी हो जाता है। लोग बताते हैं कि खनन माफिया की नेताओं से सांठगांठ व संरक्षण से इनके हौसले बुलंद हैं। अवैध खनन से छलनी हुई खड्डों के साथ लगती किसानों की उपजाऊ भूमि भूकटाव से बह रही है। कुछ क्षेत्रों में तो खनन माफिया ने किसानों की भूमि को भी निशाना बनाने में कोई कसर नहीं रखी है।
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दूसरे राज्यों के लिए ये खड्डें सोना बनी हैं। खड्डों की रेत, बजरी व पत्थर पर किसी तरह का टैक्स या इन खनिजों का कोई हिसाब-किताब सरकार को नहीं दिया जाता। बैजनाथ, पालमपुर, कांगड़ा व देहरा की मुख्य खड्डों पर अवैध खनन चाहे अब नाममात्र हो लेकिन नूरपुर, इंदौरा, जवाली, फतेहपुर व नूरपुर में हालत बद से बदतर हैं। डमटाल, माजरा, जसूर, छोंछ, चक्की खड्ड के खन्नी, मेरा, बटराह, पैल, नक्की, लखनपुर, बाड़ी खड्ड, भद्रोया व तिप्परी क्षेत्रों में धड़ल्ले से खनन हो रहा है।
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अवैध खनन रोकने के लिए शक्तियां प्राप्त विभाग कार्रवाई कर रहे हैं। वर्तमान में मामले कम हुए हैं। खनन विभाग ने अप्रैल से अक्टूबर तक 1976 चालान कर 41970 रुपये का जुर्माना वसूला है। 32 मामले न्यायालय में विचाराधीन हैं। -जेके पुरी, जिला खनन अधिकारी।
जिला कांगड़ा की पंजाब से सटी सीमा के उपमंडलों में हो रहे अवैध खनन की जानकारी ली जाएगी। इसके बाद अधिकारियों को भी आदेश दिए जाएंगे और खनन माफिया पर नुकेल कसी जाएगी। -मुकेश अग्निहोत्री, उद्योग मंत्री हिमाचल सरकार।