अफसरों की लापरवाही, गोवंश पर भारी
मुकेश मेहरा, पालमपुर हाईकोर्ट के आदेश के बाद बेशक प्रदेश में गोसदनों को बनाने के लिए कार्रवाई आरं
मुकेश मेहरा, पालमपुर
हाईकोर्ट के आदेश के बाद बेशक प्रदेश में गोसदनों को बनाने के लिए कार्रवाई आरंभ हुई है, लेकिन इनके रखरखाव के लिए आ रही बजट की कमी को दूर करने के रास्ते पर कोई अमल नहीं हो पा रहा है। प्रदेश में 30 हजार के लगभग गोवंश सड़क पर हैं, जबकि 126 गोसदन हैं। जब हाईकोर्ट का आदेश हुआ तो उसके बाद प्रदेश सरकार के समक्ष यह सुझाव आया था कि सरकार के अधीनस्थ 29 के लगभग मंदिरों की आय का 10 प्रतिशत हिस्सा गोसदनों के रखरखाव के लिए दिया जाए। सरकार ने भी इस पर अमल करने के आदेश भी जारी कर दिए, लेकिन अधिकतर गोसदनों में रखरखाव के लिए बजट की कमी की ही बात सामने आई। मंदिरों का लेखा-जोखा संबंधित जिले के डीसी के अधीन होता है। ऐसे में उनके जरिये ही इस बजट को जारी किया जाना था, लेकिन फिलवक्त कई जिलों में इस प्रक्रिया पर काम नहीं हो रहा है और नतीजा यह है कि गोसदन बदतर हालात में हैं। प्रदेश सरकार की ओर से कुछ समय पूर्व जारी आंकड़ों के अनुसार, इनकी आय 173 करोड़ रुपये बताई गई थी और यह केवल मंदिर में चढ़ने वाले सोने और चांदी की ही थी, जबकि नकद राशि अलग थी। ऐसे में करोड़ों की आय वाले इन मंदिरों की आय का 10 फीसद हिस्सा प्रदेश के गोसदनों को जारी करने के आदेश तो सरकार ने दे दिए लेकिन यह धरातल पर सही तरीके से पूरे नहीं हो पाए। नतीजा यह कि 30,000 लावारिस पशु सड़क पर धक्के खा रहे हैं। इनमें 10791 पशु जिला कांगड़ा में है। अगर मंदिरो की आय का दस प्रतिशत हिस्सा हर गोसदन पर खर्च किया जाता है तो इससे आराम से गोवंश का रखरखाव हो सकता है।
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एक जिला उपायुक्त ने ही दिया था सुझाव
गोसदनों के रखरखाव के लिए मंदिरों की आय से बजट देने का सुझाव प्रदेश के एक जिला उपायुक्त ने ही दिया था। इस सुझाव को गोसंवर्धन बोर्ड के समक्ष भी रखा गया था। इसके बाद ही आगामी कार्रवाई सरकार ने की थी।
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मंदिरों के पास बनें गोशालाएं
बुद्धिजीवियों के अनुसार, सरकार यहां-वहां गोशालाएं खोलने की बजाय इनका निर्माण मंदिरों के पास ही करे। मंदिर ट्रस्ट के जरिये इनका रखरखाव भी आसानी से होगा।
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'गोसदनों के रखरखाव के लिए मंदिरों की आय से 10 प्रतिशत बजट देने का सुझाव सरकार के पास आया था और इस बाबत आदेश भी जारी किए गए थे। इस पर काम हो रहा है या नहीं कह नहीं सकता।'
-यूनुस अंसानी, निदेशक पशुपालन विभाग।