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नूरपुर को जिला न बनाया तो करेंगे आंदोलन

संवाद सहयोगी, नूरपुर : प्रदेश भाजपा कार्यसमिति के सदस्य राकेश पठानिया ने कहा कि एक तरफ मुख्यमंत्री

By Edited By: Published: Mon, 16 Jan 2017 09:09 PM (IST)Updated: Mon, 16 Jan 2017 09:09 PM (IST)
नूरपुर को जिला न बनाया तो करेंगे आंदोलन
नूरपुर को जिला न बनाया तो करेंगे आंदोलन

संवाद सहयोगी, नूरपुर : प्रदेश भाजपा कार्यसमिति के सदस्य राकेश पठानिया ने कहा कि एक तरफ मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह प्रदेश में नई प्रशासनिक इकाइयों के गठन का विरोध कर रहे हैं, वहीं अपने वफादारों को खुश करने के लिए धड़ाधड़ उपमंडल मुख्यालयों का गठन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि नए उपमंडल मुख्यालय खोलने से उन्हें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन जब नए उपमंडल मुख्यालय खोले जा सकते हैं तो नए जिलों का गठन क्यों नहीं किया जा सकता। पठानिया ने कहा कि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की यह दोहरी नीति उनकी समझ से परे है। जवाली, फतेहपुर और इंदौरा नूरपुर का हिस्सा थे, लेकिन सरकार ने यहां एसडीएम कार्यालय खोल कर नूरपुर को खत्म कर दिया। नूरपुर का अस्तित्व तभी बच सकता है यदि नूरपुर को जिले का दर्जा दिया जाए। पठानिया ने विधायक अजय महाजन को भी आड़े हाथों लिया और कहा कि नूरपुर के टुकड़ होने के लिए विधायक जिम्मेदार हैं। जब वह विधायक थे तो उन्होंने हर बार नूरपुर को जिला बनाने का मुद्दा उठाया था और नूरपुर में एडीसी कार्यालय खुलवाने में भी सफल रहे थे लेकिन काग्रेस सरकार आने के बाद एडीसी कार्यालय को बंद कर दिया गया था। उन्होंने कहा क सरकार नूरपुर को जिला बनाने की घोषणा करे नहीं तो वह इसके लिए विशाल आंदोलन करेंगे। यह तब तक जारी रहेगा, जब तक उनकी माग पूरी नहीं हो जाती। इस मौके पर जिला परिषद सदस्य दयाल सिंह बिट्टा, नूरपुर जिला व्यापार प्रकोष्ठ के अध्यक्ष निखिल महाजन व युवा नेता अंशुल कोरला भी मौजूद रहे।

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काबिलेतारीफ है मुख्यमंत्री का राजनीतिक प्रबंधन

राकेश पठानिया ने कहा कि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का राजनीतिक प्रबंधन काबिलेतारीफ है। अपने वफादारों को बचाना व अपने राजनीतिक विरोधियों को मिटाना कोई उनसे सीखे। पठानिया ने कहा कि अपने वफादार मंत्री सुजान सिंह पठानिया के क्षेत्र में उन्होंने उपमंडल मुख्यालय खोल दिया, नया सरकारी कॉलेज दे दिया ओर अपने राजनितिक विरोधियों को चित करते हुए नूरपुर को झटका देकर इंदौरा को भी उपमंडल मुख्यालय दे दिया। पठानिया ने कहा कि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह व परिवहन मंत्री जीएल बाली के राजनीतिक संबंध जगजाहिर हैं। बाली से बस स्टैंड का शिलान्यास करवाकर जो पंगा सीएम से लिया गया है, उसकी कीमत नूरपुर को चुकानी पड़ेगी।


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