रिपोर्ट लेते वक्त अस्पताल बन जाता 'सब्जी बाजार'
लाइव रिपोर्ट समय: दोपहर 2.30 बजे स्थान: डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल डॉ. राजें
लाइव रिपोर्ट
समय: दोपहर 2.30 बजे
स्थान: डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल
डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में विभिन्न प्रकार के जांच नमूनों की रिपोर्ट लेने के लिए तीन बजे केंद्रीय लैब के बाहर जैसे ही संख्या में इजाफा होने लगता है तो यह लैब 'सब्जी बाजार' की तरह बन जाती है। यहा की अव्यवस्था से और भी परेशान होना पड़ता है। यहा ऐसा प्रतिदिन हो रहा है।
बुधवार दोपहर बाद ढाई बजे हाथ में रसीद थामे लोग केंद्रीय लैब के आसपास इकट्ठा होने शुरू हो जाते हैं। तीन बजने तक यह संख्या काफी बढ़ जाती है। भीड़ का हुजूम लग जाने के बाद यहा पर एक सिक्योरिटी गार्ड पहुंचता है। सिक्योरिटी गार्ड मरीजों व तीमारदारों को रौब झाड़ते हुए व्यवस्थित करना शुरू कर देता है। यहा पर मत बैठो, यहा खड़े मत हो, लाइन में आओ। लेकिन मरीज व तीमारदारों की संख्या इतनी ज्यादा होती है कि न तो लाइन की व्यवस्था बन पाती और न ही हुजूम छंटता है। सिक्योरिटी गार्ड फिर महिलाओं को बैठ जाने का इशारा करता है। यहा बैठने के लिए कुर्सिया नहीं लगी हैं। बीमारी से परेशान महिलाएं गार्ड को गुस्से में जानकर वहीं फर्श पर बैठ जाती हैं जहा दिन भर सैकड़ों लोग आते-जाते हैं। बिना सेहत का ख्याल किए मरीज व तीमारदार फर्श पर बैठते हैं। कुछ पुरुष बैठते हैं तो कुछ खड़े रहते हैं। इतने में एक लैब कर्मी आता है। हाथ में मरीजों की रिपोर्ट्स हैं और कह रहा है कि हटो हटो पीछे हटो। सबकी रिपोर्ट मिलेगी। समझाता है कि जिसकी रिपोर्ट हो वह ही रिपोर्ट ले। जब नाम लेंगे तो बीच में कोई तर्क नहीं करेगा। वह मरीजों के नाम व उम्र बोलना शुरू करता है।
कर्मी ने अभी बोलना शुरू ही किया था कि एक नाम के मरीज के दो लोग रिपोर्ट के लिए आगे बढ़े। ऐसे में दिक्कत उस वक्त हुई जब एक मरीज के नाम के आगे बिस्तर नंबर व उम्र नहीं लिखी थी। जैसे-तैसे दोनों मरीजों से पूछने के बाद उन्हें उनकी रिपोर्ट दी गई। थोड़ी देर तक नाम व उम्र से रिपोर्ट देने का सिलसिला जारी रहा। फिर बीच में समस्या यह हो गई कि जिनके दो टेस्ट थे और रिपोर्ट एक मिली उन्हें दूसरी रिपोर्ट लेने के लिए इंतजार करने को कहा गया। इसके साथ ही परेशानी एक मरीज की तब बढ़ गई जब उसके हाथ में उसकी पत्नी की जगह किसी अन्य महिला की रिपोर्ट आई। जल्दबाजी में उसी नाम की अन्य महिला का तीमारदार उसकी रिपोर्ट ले गया था। इस बीच जब तीमारदार ने लैब कर्मी से बात की तो लैब कर्मी ने उसे कुछ स्पष्ट करने के बजाय साइड में खड़े रहने को कहा। इस बीच एक लैब कर्मी और वहा आया उसके पास भी रिपोर्ट थी। जिनके दो टेस्ट हुए थे यह उसकी रिपोर्ट थी। यह टेस्ट रिपोर्ट भी तीमारदारों को दिए गए। पौने घटे में भीड़ छंटना शुरू हुई और जब पहले रिपोर्ट ले जाने वाला व्यक्ति वापस आया तब जाकर साइड में खड़े व्यक्ति को सही रिपोर्ट मिली। बिना रसीद देखे किसी को भी रिपोर्ट थमा दी जाती है। करीब पौने घटे तक टाडा अस्पताल की केंद्रीय लैब सब्जी बाजार बना रहा। प्रदेश का दूसरा बड़ा मेडिकल कॉलेज होने के बावजूद इस तरह की अव्यवस्था मछली व सब्जी बाजार से भी बदत्तर है।
प्रस्तुति नीरज ब्यास
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लैब से रिपोर्ट समय पर दी जा रही है। मरीजों को सुविधा देना अस्पताल का ध्येय है और सभी कर्मचारी अपना कर्तव्य निभा रहे हैं। कुछ नमूनों की जाच देरी से मिलती है।
-डॉ. विनय महाजन, चिकित्सा अधीक्षक टाडा अस्पताल।
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ध्यान में ऐसा मामला नहीं है। इसके लिए बेहतर व्यवस्था बनाने की जरूरत है तो उसके लिए बात की जाएगी और बेहतर व्यवस्था बनाई जाएगी।
-डॉ. मधु चौधरी, अतिरिक्त निदेशक
टांडा अस्पताल।