थुरल का परिवार झेल रहा रेबीज का दंश
मनोज सूद, थुरल रेबीज क्या होता है यह थुरल के उस परिवार से ज्यादा कोई नहीं जानता, जिसने घर का मज
मनोज सूद, थुरल
रेबीज क्या होता है यह थुरल के उस परिवार से ज्यादा कोई नहीं जानता, जिसने घर का मजबूत स्तंभ इसके कारण खो दिया। घर में कुत्ते ने मुखिया को काट लिया और वे झाड़-फूंक से इलाज करवाते रहे। बाद में उन्हें डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल कांगड़ा स्थित टांडा ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई। अगर वे सही समय पर अस्पताल गए होते तो परिवार के मुखिया आज उनके साथ होते।
2014 में उपतहसील थुरल की भ्रांता पंचायत के पंच भगवान दास की रेबीज से मौत हो गई थी। बीपीएल परिवार से संबंधित भगवान दास चाय की दुकान कर परिवार के पांच सदस्यों का पेट पाल रहा था, लेकिन एक दिन घर पर ही उसे कुत्ते ने काट लिया। भगवान दास ने इसे गंभीरता से न लेकर गुड़ का देसी उपचार कर स्वयं को सुरक्षित समझ लिया। घटना के दो माह बाद पेट में दर्द की शिकायत होने पर जब थुरल अस्पताल गया तो चिकित्सक ने उसमें हाइड्रो फोबिया के लक्ष्णों को भांपते ही तुरंत डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल कांगड़ा स्थित टांडा रेफर कर दिया। छोटी सी लापरवाही से भगवान दास की मौत हो गई और पत्नी, बेटी व दो बेटे बेसहारा हो गए।
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झाड़फूंक से उपचार के चक्कर में न पड़ें
भगवान दास के बेटे मुनीष कश्यप का कहना है किसी को भी कोई जंगली जानवर काटे तो झाड़-फूंक से उपचार करवाने की बजाय सीधे अस्पताल जाएं। अस्पताल में एंटी रेबीज इंजेक्शन लगवाने चाहिए।
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जागरूक अभियान चलाए विभाग
क्षेत्र के बुद्धिजीवी वर्ग का मानना है कि स्वास्थ्य विभाग को रेबीज के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाना चाहिए। लोगों को इस घटना के साथ-साथ यह भी बताया जाना चाहिए कि रेबीज खतरनाक बीमारी है। झाड़फूंक से इसका इलाज संभव नहीं है। किसी भी व्यक्ति को अगर कुत्ता या अन्य जंगली जानवर काटे तो तुरंत चिकित्सीय इलाज करवाएं।