देख तेरे 'तालाब' की हालत क्या हो गई इंसान
अश्वनी शर्मा, जसूर लगभग एक शताब्दी पूर्व जल संग्रहण का महत्व समझने वाले बुद्धिजीवियों द्वारा बना
अश्वनी शर्मा, जसूर
लगभग एक शताब्दी पूर्व जल संग्रहण का महत्व समझने वाले बुद्धिजीवियों द्वारा बनाए गए तालाब की उन्होंने कल्पना भी नहीं की होगी कि जिस तालाब को उन्होंने कड़ी मेहनत से बनाया था उसका हश्र वर्तमान में ऐसा होगा कि उसके अस्तित्व पर ही खतरा आ जाएगा। जिस एतिहासिक तालाब के नाम से ही कस्बे को राजा का तालाब के नाम से जाना जाता है, वह सरकारी उपेक्षा के चलते आज बदहाली पर आसू बहा रहा है। इससे वर्षा जल के संग्रहण के सरकारी दावे खोखले नजर आ रहे हैं।
लगभग एक सदी पहले बना यह तालाब 30 से 35 कनाल में फैला था और पानी से लबालब रहता था जो न केवल क्षेत्रीय लोगों को पानी उपलब्ध करवाता था बल्कि उससे आसपास के खेतों की सिंचाई भी की जाती थी। इस विशाल तालाब की वजह से ही इस कस्बे का नाम राजा का तालाब पड़ा। लेकिन इस एतिहासिक धरोहर की दुर्दशा आज ऐसी है कि तालाब अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्षरत है। पूरे तालाब में घास-फूस, गाद व गंदगी का साम्राज्य है।
बात करें सरकारी दावों की तो वर्षा जल संग्रहण के नाम पर सरकार हर साल करोड़ों का बजट चेक डैम, तालाब, कुएं तथा वर्षा जल को एकत्रित करने के लिए खर्च करती है जिससे ज्यादा से ज्यादा सिंचाई के स्त्रोत तथा जलस्तर को बढ़ाया जा सके। लेकिन अपने में करोड़ों लीटर पानी को रखने की क्षमता वाले इस तालाब की दुर्दशा और इसके मिट रहे वजूद पर किसी की नजर क्यों नहीं पड़ रही। लगातार उपेक्षा के चलते इस एतिहासिक तालाब का अस्तित्व खतरे में है। हालत यह कि पिछले कई सालों से इसका रखरखाव ही सही ढंग से नहीं हो रहा है।
लोगों के अनुसार अगर यही स्थिति रही तो वह दिन दूर नहीं कि जिस तालाब के नाम पर इस कस्बे का नामकरण हुआ वह ही न बचे। प्रदेश सरकार इस तालाब को गाद मुक्त व इसके सुंदरीकरण के लिए पर्याप्त धन उपलब्ध करवाए, ताकि इस अमूल्य धरोहर को विकसित किया जाए।
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सरकार करे सहायता
यह तालाब पौंग बांध जलाशय से मात्र कुछ दूरी पर सटा है जो पर्यटकों के लिए भी एक पर्यटन स्थल बन सकता है। क्षेत्र के जलस्तर को भी बढ़ाने में काफी कारगर होगा। पंचायत के पास बड़े साधन साफ-सफाई करवाने के लिए नहीं हैं। सरकार कोई सहायता करे।
-राज कुमार पंचायत प्रधान नेरना।