कितनी सीओटू छोड़ रही फसल, रहेगी नजर
मुनीष दीक्षित, पालमपुर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अब एक बड़ा कार्य होने जा रहा है। अब तक किसी भी
मुनीष दीक्षित, पालमपुर
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अब एक बड़ा कार्य होने जा रहा है। अब तक किसी भी फसल को तैयार करने वाले बीज की किसी भी नई किस्म में केवल उस बीज की प्रजाति में उत्पादन व बीमारी से लड़ने की क्षमता को ही देखा जाता था। लेकिन अब उस बीज से तैयार होने वाली फसल से निकलने वाली कार्बनडाइऑक्साइड (सीओटू) की मात्रा को भी मापा जाएगा। अब तक किसी भी फसल में कार्बनडाइऑक्साइड की मात्रा को नहीं मापा जाता है। कई बार कुछ नई किस्मों से तैयार फसलें अधिक मात्रा में कार्बनडाइऑक्साइड छोड़ती हैं जो पर्यावरण के लिए नुकसानदायक होती है। ऐसे में इस नुकसान को रोकने के लिए हिमाचल प्रदेश कृषि विवि अप्रैल से भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान, देहरादून की मदद से प्रोजेक्ट शुरू करने जा रहा है। भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग के तहत भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का एक प्रमुख प्रशिक्षण एवं शिक्षा संस्थान है। इसे प्राकृतिक संसाधन, पर्यावरण प्रबंधन एवं आपदा प्रबंधन पर कार्य करने के लिए स्थापित किया गया है। इस प्रोजेक्ट के तहत कृषि विवि में कुछ भूमि को चयनित कर उसमें करीब एक करोड़ रुपये की लागत से उपकरण लगाए जाएंगे। यह पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बड़ा कार्य होगा। कृषि विवि के अधिकारियों की मानें तो यह देश का पहला प्रोजेक्ट होगा।
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यह होगा लाभ
पिछले कुछ वर्षो से कृषि व बागवानी के क्षेत्र में शोध कार्यों में जुटे संस्थानों ने विभिन्न फसलों के बीजों की किस्में विकसित की हैं लेकिन आज तक इनमें यह नहीं देखा गया है कि इन किस्मों से पैदा होने वाली फसल कितनी मात्रा में कार्बनडाइऑक्साइड छोड़ रही है। ऐसे में वैज्ञानिकों को यह पता नहीं चल पाता था कि कौन सी फसल सीओटू के मामले में ¨सकर या प्रमोटर है। अगर नई बीज की किस्म से पैदा होने वाली कोई फसल अधिक कार्बनडाइऑक्साइड छोड़ रही है तो उसे खेतों में जाने से पहले ही रोक दिया जाएगा।
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'यह परियोजना पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अहम साबित होगी। इस पर कार्य शुरू हो चुका है। अप्रैल तक भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान देहरादून की मदद से करीब पांच सौ वर्ग मीटर भूमि में कुछ उपकरण लगाकर कार्य शुरू कर दिया जाएगा।'
- डॉ. एसएस कंवर, शोध निदेशक, हिमाचल प्रदेश कृषि विवि, पालमपुर।