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पीला रतुआ की चपेट में कुठेड़ व छव्बड़

संवाद सहयोगी, भवारना : जिला कागड़ा के आतमा परियोजना के प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. रिपन सूद ने विकास खंड

By Edited By: Published: Sat, 06 Feb 2016 11:33 PM (IST)Updated: Sat, 06 Feb 2016 11:33 PM (IST)
पीला रतुआ की चपेट में कुठेड़ व छव्बड़

संवाद सहयोगी, भवारना : जिला कागड़ा के आतमा परियोजना के प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. रिपन सूद ने विकास खंड फतेहपुर, नगरोटा सूरिया में विभाग की टीम के साथ पीला रतुआ प्रकोप की जानकारी के लिए गेहूं के खेतो का निरीक्षण किया। भ्रमण का मुख्य केंद्र व्यास नदी के मंड क्षेत्र में उगाई गई गेहूं की फसल थी। इस क्षेत्र में नमी अधिक मात्रा में पाई जाती है जिससे यहा इस बीमारी के फैलने का अंदेशा ज्यादा रहता है। इस दौरान वैज्ञानिकों की टीम ने 30 किसानों के साथ वार्तालाप किया और उन्हें पीला रतुआ के लक्षण एवं नियंत्रण के बारे में विभिन्न वैज्ञानिक विधियों की जानकारी दी। नगरोटा सूरिया ब्लॉक के गाव कुठेड़ में पीला रतुआ के लक्षण देखे गए। फतेहपुर ब्लॉक के स्थाना छव्बड़ गाव में पीले रतुए की अत्यधिक मार देखी गई। बीमारी पर नियंत्रण के लिए प्रोपिकोनजोल कबकनाशी दवाई के घोल का छिड़काव करने की सलाह दी। यह दवाई आतमा प्रोजेक्ट की तरफ से किसानों को मुफ्त उपलब्ध करवाई जा रही है। इसके अतिरिक्त वैज्ञानिकों की टीम ने मछोट, बेली ओर मेरा गावों में भी पीले रतुए का प्रकोप देखा। इन गावों में भी किसानों को मुफ्त दवाई उपलब्ध करवाई गई। डॉ. रिपन सूद ने किसानों को बताया कि इन दवाइयों के छिड़काव से कई अन्य बीमारियों से भी फसलों का बचाव किया जा सकता है। किसानों को इस रोग से बचाव के लिए लघु पुस्तिकाएं भी वितरित की गईं। वैज्ञानिकों की टीम में डॉ. अश्वनी कुमार, डॉ. विजय राणा, डॉ. रमेश कुमार धीमान ने भी किसानों को जागरूक किया।


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