शांता ने किया काम नहीं तो वेतन नहीं का समर्थन
जागरण संवाददाता, पालमपुर : भले ही केंद्रीय पर्यटन मंत्री डॉ. महेश शर्मा संसद सदस्यों को काम नहीं तो
जागरण संवाददाता, पालमपुर : भले ही केंद्रीय पर्यटन मंत्री डॉ. महेश शर्मा संसद सदस्यों को काम नहीं तो वेतन नहीं के बयान पर पीछे हट गए हों लेकिन कांगड़ा संसदीय क्षेत्र से सांसद शांता कुमार ने इस सुझाव का समर्थन किया है।
सोमवार को नई दिल्ली से जारी बयान में उन्होंने कहा कि जिस देश में 60 करोड़ लोग केवल एक हजार रुपये महीने पर गुजारा करते हैं और 11 करोड़ गरीब भूखमरी में दम तोड़ रहे हैं, उस देश के चुने हुए प्रतिनिधियों को केवल शोर मचाने के लिए वेतन और दैनिक भत्ता नहीं दिया जा सकता है। बकौल शांता कुमार, संसद का गतिरोध दुर्भाग्यपूर्ण मोड़ पर पहुंच गया है। यह भारतीय लोकतंत्र के अपरिपक्व होने का सूचक है। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की सबसे बड़ी प्रतिनिधि सभा में यह घटनाक्रम दुनियाभर में भारत का नाम नीचा कर रहा है। कहा किदुर्भाग्य से लोकसभा या तो शोकसभा बन गई है या शोर सभा। केवल शोक प्रस्ताव के समय दो मिनट का मौन होता है और उसके बाद संसद में शोर ही शोर होता है। लोकतंत्र में विवाद सुलझाने का एक ही तरीका होता है और वह है खुली बहस व उसके बाद बहुमत से निर्णय किया जाए। शांता कुमार ने कहा कि इसके लिए भारतीय जनता पार्टी तैयार है लेकिन कांग्रेस इस विषय पर भाग रही है। ऐसी स्थिति में वह काम नहीं तो वेतन नहीं सुझाव का समर्थन करते हैं।