तीन वर्ष से बकाया राशि के इंतजार में शिक्षक
संवाद सूत्र, जवाली : तीन वर्ष पहले प्रदेश सरकार ने एक महत्वपूर्ण फैसले के तहत 95 फीसद अनुदान प्राप्त
संवाद सूत्र, जवाली : तीन वर्ष पहले प्रदेश सरकार ने एक महत्वपूर्ण फैसले के तहत 95 फीसद अनुदान प्राप्त स्कूलों को अपने अधिग्रहण में ले लिया था। इसी कारण अधिकाश स्कूलों द्वारा अपनी चल अचल संपत्ति व स्टाफ सरकार के हवाले कर दिया था। इसके बाद इन स्कूलों में कार्यरत स्टाफ में एक आशा की किरण जगी थी कि सरकार के अधिग्रहण के बाद उक्त स्कूलों में कार्यरत स्टाफ का वेतन संबंधी समस्याओं का अंत हो जाएगा। बावजूद इसके वेतन व बकाया के लिए सिवाय इंतजार के कुछ हासिल नहीं हुआ। 2012 में विलय हुए एक स्कूल के सेवानिवृत्त शिक्षक सुरजीत ने बताया कि वह 2012 के अपने बकाया वेतन के लिए पिछले तीन साल से विभाग के समक्ष कई बार गुहार लगा चुके हैं।
सूचना के अधिकार के तहत ली गई जानकारी के अनुसार विभाग के शिक्षा निदेशक उच्च शिक्षा तथा शिक्षा सचिव ने भी स्वीकार किया कि उसका वेतन व बकाया राशि दी जानी बाकी है। लेकिन उक्त शिक्षक आज तक सिवाय इंतजार के कुछ भी हासिल नहीं कर सका।
विभाग के इस टालमटोल की नीति के कई शिक्षक शिकार हुए हैं। शिक्षक जगदीश कुमार व सुषमा शर्मा बकाया राशियों का इंतजार करते-करते अपनी जीवन यात्रा पूरी कर स्वर्ग सिधार चुके हैं।
विभाग से संपर्क करें : सेखड़ी
विभाग की ओर से किसी भी शिक्षक के वेतन को नहीं रोका गया है, यदि किसी शिक्षक की ग्रेज्यूटी या लीव कैशमेंट की कोई बकाया राशि हो तो उसके भुगतान की जिम्मेदारी संबंधित स्कूल की ही है। पीड़ित शिक्षक विभाग में अपना आवेदन करें, उन्हें उचित जानकारी प्रदान कर संतुष्ट किया जाएगा।
-शशिभूषण सेखड़ी, निदेशक उच्च शिक्षा विभाग।