फिर हांफा कांगड़ा रेल का इंजन
संवाद सहयोगी, पालमपुर : अंग्रेजों के समय से संचालित कांगड़ा घाटी रेलगाड़ी ने वीरवार को एक बार फिर दम त
संवाद सहयोगी, पालमपुर : अंग्रेजों के समय से संचालित कांगड़ा घाटी रेलगाड़ी ने वीरवार को एक बार फिर दम तोड़ दिया। पपरोला से चार बजे चली रेलगाड़ी अभी पंचरुखी भी नहीं पहुंच पाई थी कि इंजन ने फिर जवाब दे दिया। इससे यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा।
पठानकोट-जोगेंद्रनगर ट्रैक पर कांगड़ा घाटी की छुकछुक रेलगाड़ी बैजनाथ पपरोला से सायं करीब चार बजे करीब सौ सवारियों को लेकर रवाना। अभी रेलगाड़ी मात्र पांच किलोमीटर का सफर ही तय कर पाई थी कि मझैरना के पास इंजन ने जवाब दे दिया। हालांकि रेलवे विभाग ने पावर फेलर को लेकर एक घंटे तक कड़ी मशक्कत भी की। इस दौरान गाड़ी में बैठे यात्री न तो आगे जाने के लिए और न ही पीछे जाने के काबिल रहे। इस स्थल पर बसों की सुविधा न होने से यात्रियों को मजबूरन गाड़ी में ही बैठना पड़ा, जबकि कुछ किलोमीटर का सफर तय करने वालों ने रेलवे ट्रैक पर पैदल ही जाना ही बेहतर समझा। एक घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद भी जब इंजन को दुरुस्त नहीं किया जा सका तो पपरोला से दूसरा इंजन मंगवाकर गाड़ी को दोबारा पपरोला ले जाया गया। इस दौरान पठानकोट की ओर से आने वाली गाड़ी को भी कुछ देर के लिए रुकना पड़ा तथा पपरोला में जाकर ही दोनों ट्रेनें आपस में पास हो सकीं। इस संदर्भ में स्टेशन मास्टर पंचरुखी शीला देवी व पालमपुर स्टेशन मास्टर रोशन लाल ने पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि मझैरना के पास गाड़ी का पावर फेल हो गया था और इस कारण पपरोला से दूसरे इंजन के जरिये उसे गंतव्य पर भेजा गया। उन्होंने कहा कि इस दौरान गाड़ी करीब दो घंटे लेट हो गई थी।