साहबों के कमरे ठंडे, तड़प रहे मरीज
जागरण संवाददाता, टांडा : मेडिसन वार्ड में भर्ती हटवास निवासी बुजुर्ग की तबीयत बार-बार बिगड़ रही थी। साथ ही बिस्तर पर बैठी बेटी उसे टेस्टों की फाइल से हवा दे रही थी। वह कोशिश कर रही थी कि पिता को कुछ राहत मिले। पूछने पर पता चला कि हटवास निवासी राजिंद्र तीन-चार दिन से डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (आरपीजीएमसी) कांगड़ा स्थित टांडा में भर्ती हैं। उन्हें लीवर की कोई बीमारी होने के कारण अस्पताल में दाखिल किया गया है। मेडिसन वार्ड के एसी खराब होने के कारण उमस से उनकी तबीयत बार-बार बिगड़ रही थी। दर्द से कराह रहे राजिंद्र के परेशान परिजन कभी नर्सो के पास दौड़ लगा रहे थे तो कभी डॉक्टर के कमरे के चक्कर काट रहे थे। डॉक्टर ने उनका चेकअप किया तो पाया कि बीमारी की वजह से नहीं बल्कि उमस के कारण घबराहट के चलते उनकी तबीयत बिगड़ रही है। आरपीजीएमसी में ऐसी हालत अकेले राजिंद्र की ही नहीं, बल्कि अन्य वार्डो में भर्ती मरीजों की भी है।
आरपीजीएमसी के वार्ड में मेडिसन वार्ड के एसी कई माह से खराब हैं। इस कारण उमस से मरीजों का मर्ज बढ़ गया है। मेडिसन वार्ड ही नहीं अस्पताल के सभी वार्डो के एसी खराब हैं। हालात इतने बदतर हैं कि केजुअल्टी वार्ड समेत कुछ ओपीडी के एसी काम नहीं कर रहे हैं, परंतु अस्पताल प्रशासन इन्हें ठीक करवाने की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। अस्पताल के गायनी ओपीडी के एसी भी काम नहीं कर रहे हैं। यहां भी बरसात में उमस के कारण मरीजों के साथ-साथ डॉक्टरों को भी दिक्कत झेलनी पड़ रही है।
बताया जाता है कि अस्पताल में करीब 450 एसी लगे हैं। लंबे समय से इनकी मरम्मत न होने के कारण यह खराब हो गए हैं। इनमें से कुछ ही एसी काम कर रहे हैं। यह बात और है कि साहब के कमरों के एसी चकाचक चल रहे हैं। उनमें अगर कोई खराबी आती भी है तो तत्काल ठीक हो जाते हैं, परंतु मरीजों की हालत पर ठंडे कमरों में बैठे साहबों को तरस नहीं आ रहा है।
वहीं, वार्डो के एसी खराब होने पर मरीजों के तीमारदारों में रोष है। लोगों का कहना है कि सरकार तो आरपीजीएमसी टांडा में सारी सुविधाएं मुहैया करवाती है, परंतु साहब ही इन्हें सही ढंग से लागू नहीं कर पा रहे हैं। उनका कहना है कि अगर साहबों के कमरों के एसी चल सकते हैं तो वार्डो के क्यों नहीं?
'अस्पताल के वार्डो के एसी खराब होने की मुझे कोई जानकारी नहीं है। एसी के रखरखाव के संबंध में प्रिंसिपल ऑफिस ही बता सकता है। अस्पताल में जितने भी एसी लगे हैं उनकी मरम्मत की जिम्मेदारी पीडब्ल्यूडी बीएंडआर के इलेक्ट्रिक विंग की है।'
-डॉ. दिनेश सूद, चिकित्सा अधीक्षक, आरपीजीएमसी टांडा।
'मैंने अभी पांच-छह दिन पहले ही कार्यभार संभाला है। अभी मैं अस्पताल के संबंध में सारी जानकारी जुटा रहा हूं। अस्पताल में कहां-कहां एसी खराब हैं इनकी जानकारी हासिल कर इन्हें ठीक करवाने का प्रयास किया जाएगा।'
-सुभाष चंद डढवाल, एसडीओ, पीडब्ल्यूडी बीएंडआर टांडा।