बस..यह रात गुजर जाए
संवाद सूत्र, कोटला : उपतहसील कोटला की त्रिलोकपुर पंचायत के न्यागल गांव के एक दर्जन परिवार कुदरत की मार से इतने सहमे हैं कि उनकी रातें भी जाग-जाग कर गुजर रही हैं। दहशत व खौफ में मासूम बच्चों को लेकर बड़े लोग जरा सी भी बारिश का माहौल बनता देख खुले आसमान के नीचे आ जाते हैं। डर यह कि पिछले साल की तरह इस साल भी न्यागल में धीमी गति से पहाड़ दरकते-दरकते रिहायशी क्षेत्र को चपेट में न ले। इससे क्षेत्र में कोई बड़ा जानमाल का नुकसान होने से इन्कार नहीं किया जा सकता है। सरकार व प्रशासन को राहत व पुर्नवास पुख्ता इंतजाम करने चाहिए। न्यागल गांव के 11 मकानों को भूस्खलन से खतरा पैदा हो गया है। इनमें से दो मकान मनमोहन सिंह व सुषमा देवी का खाली करवा दिया है, शेष परिवारों को भी घर खाली करने के लिए कहा गया है। विधवा सुषमा देवी अपने दो लड़कों सहित एक लड़की के साथ अपने किसी रिश्तेदार के घर रह रही है।
वहीं, रघुनाथ सिंह, खेमराज, सुभाष, धरो राम, छोटा राम, रोशन लाल व धर्म सिंह आदि का कहना है कि प्रशासन कह रहा है कि अपने-अपने मकानों को खाली कर दीे, मगर रहने के लिए कोई भी इंतजाम नहीं है। ऐसे में हम अपने छोटे-छोटे बच्चों को लेकर कहां जाएं और वीरवार से स्कूल भी लगने वाले हैं।
सोहलदा पंचायत के प्रधान विजय कुमार ने बताया कि पिछले साल न्यागल गांव के ही घर जमीदोंज हो गए थे, उनको भी आज तक आशियाने के लिए जगह नहीं मिली है। अब यह किराये के मकानों में रह रहे हैं।